मुराद बस जमीन पर गिर पड़ा, उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं, जैसे पलक झपकाना भूल गया हों औ मुराद बस जमीन पर गिर पड़ा, उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं, जैसे पलक झपकाना भूल गय...
उन दिनों मैंने, डॉक्टर होने की शक्ति पहचानी थी। उन दिनों मैंने, डॉक्टर होने की शक्ति पहचानी थी।