ज़िन्दगी का "हासिल" क्या मिला...! बेरुख़ी, बेमुरव्वत, और बेहिस बच्चें.....! ज़िन्दगी का "हासिल" क्या मिला...! बेरुख़ी, बेमुरव्वत, और बेहिस बच्चें.....!
चलिए आज हम अपनी "बेगम साहिबा" को उनकी "ख़ाला जान" से मिलवा लाते हैं।" चलिए आज हम अपनी "बेगम साहिबा" को उनकी "ख़ाला जान" से मिलवा लाते हैं।"