मानव संभल जाता तो आज ये दिन न देखना पड़ता , उधार की साँसें। मानव संभल जाता तो आज ये दिन न देखना पड़ता , उधार की साँसें।
"कुछ नहीं बस देख रही हूँ कि क्या वाकई शर्मा जी छेड़ा है क्या ?" "कुछ नहीं बस देख रही हूँ कि क्या वाकई शर्मा जी छेड़ा है क्या ?"
आप पढ़े लिखे नहीं थे आप अँगूठा लगाया करते थे। आप पढ़े लिखे नहीं थे आप अँगूठा लगाया करते थे।