कैसे कभी किसी को अहसास तक नहीं होने दिया कि बंद कमरे में भी हमारी दिशाएं अलग-अलग थी.. कैसे कभी किसी को अहसास तक नहीं होने दिया कि बंद कमरे में भी हमारी दिशाएं अलग-अलग...
मैं मिस्टर वर्मा का बचपन का सखा,हर दुख सुख का साथी, पेशे से मनोचिकित्सक। मैं मिस्टर वर्मा का बचपन का सखा,हर दुख सुख का साथी, पेशे से मनोचिकित्सक।