उसने कुछ सोचते हुए पिंजरे का गेट खोल दिया। और उन्हें आकाश में पंख फैलाये उड़ते हुए दूर तक देखती रही। उसने कुछ सोचते हुए पिंजरे का गेट खोल दिया। और उन्हें आकाश में पंख फैलाये उड़ते ह...
जब कभी हवाऐंं मेरे चेहरे को छूती हैं, ये आँखें मेरी बेबसी के ग़म मेंं रोती है। जब रात को टिमटिमाते... जब कभी हवाऐंं मेरे चेहरे को छूती हैं, ये आँखें मेरी बेबसी के ग़म मेंं रोती है।...