आज मुझे अपने ही बुने भ्रमजाल से बाहर आ, आंतरिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही थी। आज मुझे अपने ही बुने भ्रमजाल से बाहर आ, आंतरिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही थी।
कड़क बाबूजी उस दिन मुस्कुराते हुए घर आए और उन्होंने किस्सा सुनाया की कैसे उनका पॉकेट मरने वाले को उन्... कड़क बाबूजी उस दिन मुस्कुराते हुए घर आए और उन्होंने किस्सा सुनाया की कैसे उनका पॉ...