जिंदगी का कारवाँ यूं ही चलता गया... तुम " ओर " मैं " से " हम " बन गए... जिंदगी का कारवाँ यूं ही चलता गया... तुम " ओर " मैं " से " हम " बन गए...
उन्हीं ख्यालों और स्मृतियों के मिले-जुले रंगों को शायद थोड़ा और समझती हुई। उन्हीं ख्यालों और स्मृतियों के मिले-जुले रंगों को शायद थोड़ा और समझती हुई।