विनम्रता अनमोल खजाना
विनम्रता अनमोल खजाना
महाराजा घने जंगलमे शिकार करने निकले थे। शिकार के चक्कर में सैनिक तितर बितर हो गये थे।
दोपहर का वक्त महाराजा को प्यास लगी थी। उन्होंने इधर उधर देखा।लेकिन कोई सेवक. भी पास नहीं था, क्योंकि आमतौर पर पानी की सुराही भी नजाने कहां थी। पास में ही कुंआ दिखाई दिया।महाराजा उस कुएं के पास पहुंचे और पानी निकालने की कोशिश करने लगे। महाराजा जैसे ही बाल्टी पकड़ने के लिए आगे झुके तो कुंए पर लगी हुई चकरी उनके सिरपर जा लगी और खून बहने लगा।लेकीन महाराजा घबराये नहीं । ना गुस्सा किया। शांति से पानी पीकर कहा!
" धन्यवाद है तेरा मेरे मालिक तेरा शुक्रिया कैसे अदा करूं ; जिस आदमी को कुएं से पानी भी निकालना नहीं आता, ऐसे बेवकूफ आदमी को आपने महाराजा बना दिया। यह आपकी दया ही तो है मुझपर वर्ना मै तो किसी काबिल ही नहीं था। "