*विधवा विवाह *
*विधवा विवाह *


एस बी आई बैंक में देखा था पहली बार उसे। ड्राफ्ट बनवाने आई थी वो भी और हम भी। आंखों आंखों में एक- दूसरे को देखा, बस इतनी सी ही मुलाकात थी। लगभग आधे घंटे बाद हम दोनों फिर ऑनलाइन कम्प्यूटर शाॅप पर थे। हम दोनों ही फार्म भरने के लिए आए थे एस बीआ ई क्लेरिकल एग्जामिनेशन का।
हम शादीशुदा थे और वह हमें अनमैरिड लग रही थी। अनमैरिड ही समझते रहते हम उसे, अगर कम्प्यूटर वाले भैया ने उसका फार्म भरते वक्त उसकी मैरिटल कंडीशन पूछी न होती। जवाब ये कि वह विडो है यानी विधवा।
फार्म भरने के बाद हम दोनों ही अपने अपने घर चले आए। बस एक सवाल मन में रह गया पूछने के लिए कि कब कैसे?
वक्त ने एक बार फिर हम दोनों की मुलाकात करवाई। हम दोनों का सेन्टर एक ही कॉलेज में पड़ा था महारानी लक्ष्मीबाई फिजिकल एजुकेशन कॉलेज।
इस बार वो मिली तो हमने उससे उसके बारे में पूछ ही लिया। पता चला कि वह हमारे ही कस्बे में रहती है। दो साल पहले बहुत धूमधाम से एक फौजी लड़के के साथ शादी हुई थी। शादी के कुछ ही महीनों के बाद उसके पति की तबियत खराब होने के कारण मृत्यु हो गई। ससुराल वाले रखते नहीं है इसलिए वह अपने मायके में ही रहती है। मायके में मम्मी-पापा, भैया -भाभी सब हैं लेकिन किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती इसलिए जाॅब करना चाहती है।
दूसरी शादी के बारे में हमने कहा तो बोली कि हमारे समाज में विधवा की शादी नहीं होती। उसे पूरी जिंदगी ऐसे ही अकेले रहना होता है।
उसके बारे में जानकर बहुत दुख हुआ क्योंकि उसकी उम्र अभी कुल 21 के आसपास थी। अभी तो उसकी जिंदगी की शुरुआत है। कैसे काटेगी पूरी जिंदगी अकेले। बच्चा भी नहीं है एक भी।
ये समाज भी बड़ा अजीब है। पुरूषों के ऊपर कोई प्रतिबंध नहीं। वह विधुर होने की स्थिति में भी विवाह कर सकता है। बच्चे न हो तो स्त्री को बांझ बताकर दूसरा विवाह कर सकता है। पहली पत्नी से केवल बेटियां हों फिर भी दूसरा विवाह कर सकता है। लेकिन स्त्री? उसके लिए बाध्यता है।अब यदि वो लड़की विधवा हो गई इसमें उसकी क्या ग़लती है? इतनी लंबी पहाड़ जैसी जिंदगी जीने के लिए छोड़ दिया जाता है उसे अकेला।
वक्त का पहिया घूमता रहा। एक दिन जानकारी मिली कि हमारे साथ पढ़ने वाले एक लड़के की शादी है। आश्चर्य यह हुआ कि अकस्मात्। बाद में जानकारी मिली कि वह लड़की उस लड़के की कोचिंग पर पढ़ने आती थी। लड़का थोड़ी -बहुत स्मोकिंग और ड्रिंकिंग करता था। कुछ लड़की को मिलने वाली पेंशन का भी लालच आ गया था। सो उन दोनों की सहमति से शादी हो गई।
आज वे दोनों अच्छी जिंदगी जी रहे हैं। दोनों का एक प्यारा सा बेटा हैं और हमें उस लड़की के घर बस जाने की खुशी हैं।
वैधव्य एक त्रासदी है स्त्री के लिए जिसे न चाहते हुए भी झेलना पड़ता है स्त्री को।