Parul Agarwal Mittal

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उपन्यास माया भाग 2

उपन्यास माया भाग 2

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"माया .....कब से दरवाज़ा खटखटा रही थी,क्या हुआ इतना परेशान क्यों हो......माया....माया....तुमसे बात कर रही हूं......आशना ने माया को झिंझोड़ते हुए कहा।

"सॉरी यार मैने सुना नही".....माया ने अपेक्षित सा जवाब दिया।

"माया इस पूरी दुनियां में मैं ही तुम्हारी इकलौती दोस्त हूं ,या यूं कहूं हम दोनो एक दूसरे के दोस्त है।भाग्यशाली हूं कि ईश्वर ने तुमसे मिलवाया....तुम्हारी दोस्ती बख्शी।लेकिन माया तुम बार बार अतीत में क्यों चली जाती हो....उन दरवाजों को हमेशा के लिए बंद क्यों नही कर देती।जब जब दरवाज़ा खोलेगी तकलीफ़ तुम्ही को होगी....….आशना ने माया का हाथ पकड़कर कहा।

आशना अतीत बार बार लौट कर आता है,मैं दुनियां के लिए माया हूं...वो माया जो सब कुछ हासिल कर सकती है।जिसके एक इशारे पर लोग खुद को उसके पैरो में गिरा देते है।अपना सब कुछ लुटा देते है।माया के मोह में लोग सब कुछ भूल जाते है,बस याद रहती है तो केवल माया।धन दौलत सबकुछ तो है मेरे पास बस ......बस आई नही है....उसको कहां से लाऊं आशना।तू तो सब जानती हैं,आई के जाने के बाद क्या क्या हुआ.....आंख बंद कर लेने से अंधेरा नहीं हो जाता।

"लेकिन सूरज की एक किरण अंधकार का विनाश करने के लिए काफी होती है माया.....आशना ने कहा।

मैं रातों की मल्लिका हूं आशना ,सूरज के उजाले मुझे रोशन नही करते बल्कि ....बल्कि डराते है।और माया ....माया खुद में पूर्ण है माया किसी से नहीं डरती......अच्छा सुन आज आई का जन्मदिन है तो..... बच्चों को खाना और कपड़े भिजवा देना अनाथ आश्रम में.......

"हां... मैने सारी तैयारी कर ली है..... तू तो जाएगी नही ... मैं वही से तुझे वीडियो कॉल करूंगी....ठीक है,और हां जरूरी बात तो भूल ही गई.....

"बादाम खाया कर मेरी जान.....क्या हुआ बता....

एक डील का ऑफर है......

कौन है......

होटल है उसके,और तेरा दीवाना है.....कह रहा था कुछ भी हो माया से मिलना है.....

"अच्छा और .....

"वही सब जो लोग कहते आए है अब तक.....लेकिन ....

लेकिन क्या आशना.....

ये दो दिन चाहता है तेरे.....

माया बहुत कीमती है आशना.....#भ्रम# सत्यम# जगत #मिथ्या # कुछ घंटे मिल जाए वही काफी है।माया के दिन किसी के नही है..... एस पर रूल काम करो आशना.....उससे कहो अभी माया व्यस्त है....दो हफ्ते बाद का अपॉइंटमेंट ले,उसके बाद फ़ोन करे तब देखते है क्या करना है......तब तक संजीव से कहो उसकी पूरी कुंडली और फ़ोन डिटेल मुझे भेजे.....होटल का मालिक है तो बाहर बहुत बार खाया होगा। टेस्ट बदलना है या वजह कुछ और है.....कितने होटल है इसके.....और नाम क्या है?

"रजत सिन्हा नाम है ,नौ होटल है ।कुछ इंडिया में है और बाकी दुबई और सिंगापुर में है.....

"दुबई वाला होटल अब माया का होगा आशना अगर ये ....क्या बताया ....रजत सिन्हा.....सही आदमी है तो....माया ने शातिर निगाहों से मुस्कुराते हुए कहा।

"सही आदमी आता है कोई हमारे पास......

आते तो सही है बस आने के बाद सही वापिस नही जाते..... हां आने वाले स्वच्छ नही होते....माया के संसार में जो आए उसकी दुनियां यही हो जाती है.....और कितनी विडंबना है ना आशना लोग हमे चरित्र हीन कहते है....ये लोग जो अपना घर परिवार पत्नी बच्चे भूलकर माया के पास आते है ये बदनाम क्यों नहीं.....

"माया वो ......विराट को हॉस्पिटल ले जाना है , तू जाएगी.....

हां क्यों नही......विराट हमेशा मेरी आंखो के आगे ही रहेगा.....उसको देखकर मुझे ऊर्जा मिलती है।जानती है जब कभी सोचती हूं कि मैं गलत तो नहीं तब विराट मुझे ताकत देता है .....जैसे जैसे ....वो कह रहा हो ....माया यू आर ऑलवेज राइट.......

"लेकिन माया......

"माया के संसार में लेकिन की कोई जरूरत नहीं होती आशना......एक दिन तुम्हे इस सवाल का जवाब भी मिल जाएगा......माया ने आशना के होठों पर उंगली रखते हुए कहा।

आशना ने माया को गले लगाया और कमरे से बाहर आ गई।

खिड़की के बाहर मौसम बड़ा अच्छा था ।ठंडी हवा चल रही थी।लग रहा था बारिश होगी......लेकिन कुछ बूंदे धरा की अलसई गर्मी को शांत करने के लिए काफी नही।उसके लिए तो मेघों को बरसना होगा।झूम झूम कर बरसना होगा। धरणी का भी कैसा अदभुत प्रेम होता है बदलो से । बादल जो दे जाए उसे अपनी गोद में स्वीकार कर लेती है जैसे एक मां करती है.....मां.......मेरी मां ने भी तो......


क्या हुआ था आज के दिन माया की मां को

क्या है माया के अतीत में जो उसे परेशान कर रहा है

दरवाजा मनु ने खोला बाहर माया कैसे आई

विराट कौन है......

और आशना .....क्या आशना माया की सच्ची दोस्त है

माया इतनी कीमती क्यों है......

सभी सवालों के जवाब के साथ मिलते है अगले भाग में


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