उपहार
उपहार
रीना भोपाल में रहती थी। उसके मम्मी पापा दोनों नौकरी करते थे।इसलिए उसे ज़्यादा समय नहीं दे पाते थे। उसका एक छोटा भाई राकेश था। रीना कक्षा आठ में थी और भाई कक्षा तीसरी में पढ़ता था। उनका विद्यालय वहीं घर के पास था। दोनों भाई बहन पैदल साथ में विद्यालय जाते थे। विद्यालय में उनके बहुत सारे दोस्त थे। लेकिन रीना का कोई भी पक्का दोस्त नहीं था। जिससे वह अपनेदिल की बात कह सके। वह पढ़ने में बहुत अच्छी थी और बहुत मेहनती भी थी। विद्यालय सेघर आकर अपने भाई का बहुत अच्छी तरह ध्यान रखती थी विद्यालय में सभी शिक्षक उसे बहुत प्यार करते थे। कक्षा में हमेशा प्रथम आती थी। लेकिन जब भी कोई प्रतियोगिता होती तो वह जीत नहीं पाती थी। सबको आश्चर्य होता कि वह
पढ़ने में नहीं अच्छी है तो जीत क्यों नहीं पाती वह किसी को भी
नहीं बता पाती कि प्रतियोगिता में निर्धारित समय सीमा के अंदर उत्तर देना रहता है उसके पास समय देखने के लिए घड़ी नहीं थी।
एक दिन उसकी कक्षा में एक नया विद्यार्थी आया उसका नाम पिंटू था वह बहुत हंसमुख था जल्दी ही रीना से उसकी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई। वह दोनों सब काम विद्यालय का साथ मिलकर करने लगे। एक दिन अध्यापिका ने बताया कि उन दोनों कोवाद विवाद प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया है। दोनोंबहुत ख़ुश थे। जल्दी ही वह दिन भी आ गया पिंटू तो जीत गया लेकिन रीना नहीं जीत पाई। पिंटू ने देखा रीना समय नहीं देखपा रही थी इसलिए हार गई। पिंटू ने तभी सोच लिया कि वह रीना के जन्मदिन पर एक अच्छी सी घड़ी उपहार में देगा। वह उसके लिए पैसे इकट्ठे करने लगा जब भी कोई उसे पैसे देता वह अपनी गुल्लक में डाल देता जल्द ही उसने घड़ी जितने पैसे इकट्ठे कर लिए और पापा के साथ जाकर एक सुंदर सी घड़ी ख़रीद ली।
आज रीना का जन्मदिन है पिंटू सुबह से ही बहुत खुश हैं पर किसी को कुछ नहीं बता रहा जब शाम को रीना ने उसे अपने घर बुलाया उसने यह प्यारा सा उपहार दिया। रीना बहुत खुश हुई
उसे आज तक किसी ने इतना प्यारा उपहार नहीं दिया था। रीना ने
उसे बहुत सँभालकर रखा फिर तो वह एक के बाद एक प्रतियोगिता जीतती गई। कुछ समय बाद उसके दोस्त के पापा का कहीं ओर स्थानांतरण हो गया। आज 20 साल बाद वह फिर से मिले वह उसी ज़िले में जिला अधिकारी बनकर आयी है। पिंटू तो उसे पहचान भी नहीं पाया।
लेकिन जब उसका ध्यान उसके हाथ पर गया तो आज भी कलाई पर उसकी दी हुई घड़ी बँधी हुई थी।