शिक्षा की मांग
शिक्षा की मांग
जंगल के स्कूल का रिजल्ट :-
हुआ यूँ कि जंगल के राजा शेर ने ऐलान कर दिया कि अब आज के बाद कोई अनपढ़ न रहेगा। हर पशु को अपना बच्चा स्कूल भेजना होगा। राजा साहब का स्कूल पढ़ा-लिखाकर सबको मेडल बँटेगा।
सब बच्चे चले स्कूल। हाथी का बच्चा भी आया, शेर का भी, बंदर भी आया और मछली भी, खरगोश भी आया तो कछुआ भी, ऊँट भी और जिराफ भी।
परिक्षा हुआ तो हाथी का बच्चा फेल। अब हाथी की पेशी हुई स्कूल में, मास्टरनी बोली,"आपने पैदा करके मुसीबत छोड़ दिये हो मेरे लिये ? औलाद पर ध्यान दीजिए, फेल हो गए हैं। जनाब, इनके कारण मेरा रिजल्ट खराब होगा। तुम्हारे नालायक बेटे के कारण मेरा रिजल्ट खराब हो, ये मुझे मंजूर नहीं।"
"किस विषय में फेल हो गया जी?"
"पेड़ पर चढ़ने में फेल हो गया, हाथी का बच्चा।" "अब का करें?" "ट्यूशन रखाओ, कोचिंग में भेजो।" अब हाथी की जिन्दगी का एक ही मक़सद था कि हमारे बच्चे को पेड़ पर चढ़ने में प्रथम कराना है।
किसी तरह साल बीता। परिणाम आया तो हाथी, ऊँट, जिराफ सब फेल हो गए। बंदर की औलाद प्रथम आयी। प्रिंसिपल ने उसे बुलाकर मैडल दिया। बंदर ने उछल-उछल के कलाबाजियाँ दिखाकर। गुलाटियाँ मार कर खुशी का इजहार किया। उधर अपमानित महसूस कर रहे हाथी, ऊँट और जिराफ ने अपने-अपने बच्चे कूट दिये। नालायकों, इतने महँगे स्कूल में पढ़ाते हैं तुमको, ट्यूशन-कोचिंग सब लगवाए हैं। फिर भी आज तक तुम पेड़ पर चढ़ना नहीं सीखे। सीखो, बंदर के बच्चे से सीखो कुछ, पढ़ाई पर ध्यान दो।
फेल हालांकि मछली भी हुई थी। बेशक़ तैरने में प्रथम थी पर बाकी में तो फेल ही थी। मास्टरनी बोली,"आपकी बेटी स्कूल में नहीं आती है।" मछली ने बेटी को ऑंखें दिखाई। बेटी ने समझाने की कोशिश की कि,"माँ, मेरा दम घुटता है इस स्कूल में। मुझे साँस ही नहीं आती। मुझे नहीं पढ़ना इस स्कूल में। हमारा स्कूल तो तालाब में होना चाहिये न?" नहीं, ये राजा का स्कूल है। तालाब वाले स्कूल में भेजकर मुझे अपनी बेइज्जती नहीं करानी। समाज में कुछ इज्जत है मेरी। तुमको इसी स्कूल में पढ़ना है। पढ़ाई पर ध्यान दो।"
हाथी, ऊँट और जिराफ अपने-अपने बच्चों को कूटते हुए ले जा रहे थे। रास्ते में बूढ़े बरगद ने पूछा,"क्यों कूट रहे हो, बच्चों को?" जिराफ बोला,"पेड़ पर चढ़ने में फेल हो गए?"
बूढ़ा बरगद सबसे पते की बात बोला,"पर इन्हें पेड़ पर चढ़ाना ही क्यों है ?" उसने हाथी से कहा,"अपनी सूंड उठाओ और सबसे ऊँचा फल तोड़ लो। जिराफ तुम अपनी लंबी गर्दन उठाओ और सबसे ऊँचे पत्ते तोड़-तोड़ कर खाओ।" ऊँट भी गर्दन लंबी करके फल पत्ते खाने लगा। हाथी के बच्चे को क्यों चढ़ाना चाहते हो पेड़ पर।मछली को तालाब में ही सीखने दो न ?
दुर्भाग्य से आज स्कूली शिक्षा का पूरा स्लेबस सिर्फ बंदर के बच्चे के लिये ही बना है। इस स्कूल में 35 बच्चों की क्लास में सिर्फ बंदर ही First आएगा। बाकी सबको फेल होना ही है। हर बच्चे के लिए अलग स्लेबस , अलग विषय और अलग स्कूल चाहिये।
हाथी के बच्चे को पेड़ पर चढ़ाकर अपमानित मत करो। जबर्दस्ती उसके ऊपर फेलियर का ठप्पा मत लगाओ। ठीक है, बंदर का उत्साहवर्धन करो पर शेष 34 बच्चों को नालायक, कामचोर, लापरवाह घोषित मत करो। मछली बेशक़ पेड़ पर न चढ़ पाये पर एक दिन वो पूरा समंदर नाप देगी।l
