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Bhushan Kumar

Children Stories Classics Inspirational

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Bhushan Kumar

Children Stories Classics Inspirational

सच्चा सुख और आनंद

सच्चा सुख और आनंद

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पुराने समय में संत गाँव के लोगों को प्रवचन देते थे, भिक्षा मांगकर अपना जीवन यापन करते थे। एक दिन गाँव की महिला ने एक संत के लिए खाना बनाया। जब संत उस महिला के घर खाना खाने गए, तो उस महिला ने पूछा की महाराज हमें जीवन में सच्चा सुख और आनंद कैसे मिल सकता है? इस पर संत ने कहा की इसका जवाब हम आपको कल देंगे। 

अगले दिन उस महिला ने संत के लिए खीर बनाई, क्योकि वह महिला उन संत से सुख और आनंद के बारे में प्रवचन सुनना चाहती थी। 

उसके बाद संत आये और उन्होंने भिक्षा के लिए उस महिला को आवाज दी। महिला संत के लिए खीर लेकर बाहर आई। संत ने खीर लेने के लिए अपना कमंडल आगे किया। महिला खीर डालने ही वाली थी की उसकी नजर कमंडल के अन्दर पड़ी। तो उसने संत से कहा की महाराज आपका कमंडल तो गंदा है, इसमें कचरा पड़ा है। इस पर संत ने कहा- हां कमंडल गंदा है, लेकिन आप खीर इसमें ही डाल दो। महिला ने कहा- नहीं महाराज, ऐसे तो खीर ख़राब हो जाएगी।

आप ऐसा कीजिये ये कमंडल मुझे दीजिये, मैं इसे धोकर साफ कर देती हूं। इस पर संत ने पूछा की मतलब जब तक कमंडल साफ नहीं होगा तो आप इसमें खीर नहीं देगी। उसके बाद महिला ने कहा- जी महाराज, मैं इसे साफ़ करने के बाद इसमें खीर दे दूंगी। तब संत ने कहा की ठीक इसी तरह जब तक हमारे मन में लोभ, क्रोध, मोह, और काम जैसे बुरे विचारो की गंदगी है, तो हम उसमें अच्छे उपदेश कैसे डाल सकते हैं? अगर ऐसे मन में उपदेश डालेंगे तो अपना असर नहीं दिखा पाएंगे। 

इसलिए अच्छे उपदेश सुनने के लिए मन को शांत और पवित्र करना चाहिए। तभी हम ज्ञान की बातें सीख सकते है। शांत और पवित्र मन वाले ही सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति कर पाते हैं।

शिक्षा:-

जब हम अपने मन को शांत और पवित्र बना लेंगे तब हमें जीवन का सच्चा सुख और आनंद की प्राप्ति होगी।


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