रागिनी
रागिनी


बात उस समय की है जब मेरी नन्ही परी रागिनी का पहला दिन था विद्यालय में |मन में नई उमंगे लिए बिना अलार्म के ही 5:30 बजे उठ गई,इस्त्री किए गए कपड़े दोबारा इस्त्री किए, बस कोई कमी ना रह जाए |6:30 बजे रागिनी को उठाया तो दिल ने यह गीत गुनगुनाया
दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा
मस्ती भरे मन की, भोली सी आशा
चाँद तारों को, छूने की आशा
आसमानों में उड़ने की आशा
तैयार करते-करते कब 7:30 बज गए वक्त का पता ही नहीं चला ,जल्दी से स्कूटी स्टार्ट की और गेट पर पहुंच गई |जब नन्ही नन्ही उंगलियों को धीरे-धीरे अध्यापिका के हाथ में सौंपा तो मन में यह गीत उमड़ पड़ा
कल तक जो नन्ही सी लली थी
कोमल सी जूही की कली थी
वो तोतली बोली
अरे कितनी भली थी
वो जिसके सीमा
बस घर से गली थी
क्या ये वही लड़की है
क्या क्या सोचा था मैंने जब रागिनी स्कूल जाएगी तो अपने लिए तो वक्त ही वक्त मिलेगा ,यह करूंगी वह करूंगी ना जाने कितने प्लान्स बनाए थे ,पर यह क्या जब से स्कूल छोड़ कर आई हूं तब से नजर सिर्फ घड़ी पर ही टिकी रही ,बस यही सोचते-सोचते मोबाइल में यह गीत लगाया
बहता है मन कहीं
कहाँ जानती नहीं
कोई रोक ले यहीं
भागे रे मन कहीं आगे रे मन
चला जाने किधर जानूँ ना
गेट पर पहुंचते ही निगाहें सिर्फ रागिनी को ढूंढने लगी ,जैसे ही उसके भोले से चेहरे पर नजर पड़ी तो मन में यह गीत गुनगुनाया
मेरी दुनिया, मेरी दुनिया
मेरी दुनिया तू ही रे
मेरी खुशियाँ, मेरी खुशियाँ
मेरी खुशियाँ तू ही रे
रात दिन तेरे लिए सजदे करूँ
दुआएँ माँगूँ रे
मैं यहाँ अपने लिए रब से तेरी
बलाएँ माँगूँ रे
जब घर पहुंचे तब रागिनी ने दिनभर की बात बताई,वह बहुत खुश थी और उससे भी ज्यादा मैं क्योंकि उसके चेहरे से झलक रहा था कि वह मन ही मन यह गीत गुनगुना रही है
कुछ पाने की हो आस आस, कोई अरमां हो जो ख़ास ख़ास
आशाएं, आशाएं, आशाएं
हर कोशिश में हो वार वार, करे दरियाओं को आर पार
आशाएं, आशाएं, आशाएं
तूफानों को चीर के, मंजिलों को छीन ले
(आशाएँ खिले दिल की, उम्मीदें हँसे दिल की
अब मुश्किल, नहीं कुछ भी, नहीं कुछ भी)