Honey Jain

Children Stories

4.0  

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परी भी और शेरनी भी

परी भी और शेरनी भी

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रौशनी अपने पापा के साथ खाना खाते हुए रोज न्यूज़ देखती है, देश विदेश की खबरें देखने के बाद उसके मन में हजार विचार आते कभी अपने पापा के साथ चर्चा करती तो कभी नजर अंदाज़ कर देती|

पिछले सोमवार की बात है रोशनी खाना खाते-खाते उदास हो गई, पापा ने उसके चेहरे के भाव भांप लिए और तुरंत टीवी बंद कर दिया।इससे पहले वह कुछ कहते रौशनी बोली की "आज मैम ने हमें रामायण का पाठ पढ़ाया था, पापा क्या सीता जी मजबूत नहीं थी ?रावण सीता जी को कैसे उठा ले गया? सीता जी ने रावण को क्यों नहीं मारा? क्या लडकियाँ मजबूत नहीं होती ?"

उसके इन सवालों ने रौशनी के पापा को अंदर तक झकझोर दिया, खुद को संभालते हुए वह बोले “रौशनी बेटा लडकियाँ बहुत मजबूत होती हैं, उनमें माता रानी के नौ रूप छुपे हुए होते हैं, समय पड़ने पर उनके विभिन्न रूप उजागर होते हैं और वह और शक्तिशाली बन जाती हैं।"क्या आपको पता है सीता जी इतनी पराक्रमी थी कि जो स्वयंवर का धनुष रावण नहीं उठा पाया था वह उस धनुष से खेलती थी, उस समय उनका पराक्रमी रूप उजागर था| जब रावण ने साधु का रूप लेकर सीधा जी से भिक्षा मांगी तब सीता जी का करुणामई रूप उजागर था|आपके अंदर आसमान को छूने वाली कल्पना चावला के गुण भी है ,और शत्रु को परास्त करने वाली रानी लक्ष्मीबाई के भी| आप पापा की परी भी हो और शेरनी भी| यह सुनकर रौशनी बहुत खुश हुई उसे समझ आ गया था लडकियाँ बहुत मजबूत होती है और वो कुछ भी कर सकती हैं।


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