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usha verma

Children Stories Comedy Inspirational

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usha verma

Children Stories Comedy Inspirational

पसंदीदा खिलाड़ी एथलीट 17 नंबर

पसंदीदा खिलाड़ी एथलीट 17 नंबर

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सपने में एक दिन मेरे पास पीटी उषा आई और बोलती है कि चलो मैं तुम्हें आज रेस की प्रैक्टिस करना सिखा देती हूं मैंने बोला नहीं मैं नहीं जाऊंगा मेरे पैरों में दर्द है मैं नहीं जाऊंगी उसने बोला नहीं तुम्हारे मम्मी ने मुझे तुम्हारे लिए कौच बनाया है तुम्हें चलना ही पड़ेगा।

मैंने बोला नहीं मैं नहीं जाऊंगी मुझे अच्छा नहीं लगता दौड़ना । उन्होंने बोला नहीं जाना पड़ेगा वह मेरी टांग खींचते हुए बाहर ले आई और फिर मैंने सोचा यह तो मुझ पर डंडे बजाकर मुझे सिखाएगी लेकिन तभी उसने अपनी पॉकेट में से एक चॉकलेट निकाली और मुझे दे दी बोला कि अगर तुम ऐसे ही मेरे साथ रेस करोगी तो मैं तुम्हें रोज एक चॉकलेट दूंगी फिर मैंने कहा कि तुम ऐसा क्यों कर रही हो उसने बोला क्योंकि मैंने सुना है तुम्हें अपना नाम अच्छा नहीं लगता और मैं तुम्हें यह दिखाना चाहती हूं कि नाम से कुछ नहीं होता काम से होता है तो मैंने कहा नहीं नहीं देखो फिर मुझे रोज नहीं करनी तो उसने कहा नहीं तुम्हें अपना नाम बड़ा करना ही होगा मैंने कहा चलो ठीक है एक बार रेस करके देख ही लेती हूं जब इतना आप कह रही हो मैंने जैसे ही उस दिन रेस करके आई मैं बेहोश हो गई मुझे पता ही नहीं चला क्योंकि पहली बार रेस की तो अगले दिन में रोने लगी नहीं मैं नहीं जाऊंगी मैं नहीं जाऊंगी उन्होंने बोला मेरे लिए एक सरप्राइज गिफ्ट लेकर आई बोला अगर तुम आज रेस में दौड़ोगी तो मैं तुम्हें यह सरप्राइस दूंगी लेकिन दौड़ने के बाद मैंने कहा चलो मुझे एक गिफ्ट और मिल जाएगा कल तो चॉकलेट मिली थी तो मैं मन मार कर ऐसे दौड़ने लगी फिर उसके बाद वह फिर मेरे लिए सरप्राइस गिफ्ट लेकर आई उसने बोला लेकिन तुम अभी नहीं खोलोगी आज भी पहले दौड़ लगाओ मेरे साथ फिर मैं तुम्हें सरप्राइस गिफ्ट देती हूं मैं मन मार कर उसके साथ चली गई तब उसने मेरे साथ रेस लगाई लेकिन आज मुझे थोड़ा सा अच्छा लगने लगा था दौड़ कर मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था मुझे अच्छी ठंडी ठंडी हवा बहुत अच्छी लग रही थी।

इसी तरह से वह मुझे गिफ्ट सरप्राइस गिफ्ट देती रही और मुझे बोला कि इन्हें खोलना नहीं है अब मैं रोज पीटी उषा का इंतजार करने लगी खुद ही मैं जाना चाहती थी और रेस लगाने लगी मैंने देखा मैं पीटी उषा से भी 10 दिन के अंदर आगे दौड़ने लगी थी और उन्होंने बोला देखो यह तुम्हारी ही मेहनत का नतीजा है ऐसे तुमने मेहनत की तो देखो मन से जब हम किसी काम को सोचते हैं तो उसमें हम सफलता जरूर पाते हैं और अब तुम्हारे पास जो यह सरप्राइज गिफ्ट है जो मैंने तुम्हें दिए हैं इन्हें खोल सकती हो क्योंकि अब तुम मुझे भी हरा सकती हो तो उसने बोला अब इसे खोल कर दिखाओ मैंने एक एक करके सारे गिफ्ट खोलें तो सब में पीटी उषा पीटी उषा पीटी उषा ही लिखा हुआ था तो मैं गुस्सा हो गई मैंने बोला तुमने तो अपना ही नाम मुझे लिखकर क्यों दिया मुझे तो गिफ्ट चाहिए थे।

ना उसने कहा अब तुम लास्ट वाला जो गिफ्ट है उसे खोल कर देखो मैंने कहा ठीक है चलो एक लास्ट वाला गिफ्ट मैंने खोल कर देखा तो उसमें लिखा था पीटी उषा वर्मा मैंने बोला अब तो वर्मा नहीं हो उन्होंने बोला यह मेरे लिए नहीं यह तुम्हारे लिए है आज तुम भी पीटी उषा वर्मा बन गई हो और आज के बाद यह मत बोलना कि तुम्हें अपना नाम अच्छा नहीं लगता मैं तुम्हें यही साबित करना चाहती थी कि नाम से कुछ नहीं होता नाम पुराना हो या ना हो इंसान अपनी पहचान अपने कामों से बनाता है आज तुम मुझसे भी तेज दौड़ने वाला एक विजेता बन गई हो और मुझे आज अपने नाम पर गर्व हो रहा था जो कि मुझे अपना नाम बहुत बुरा लगता था और इसी वजह से ही मेरी मम्मी ने यह सब मेरे लिए प्लान किया था यह दिखाने के लिए कि नाम से कुछ नहीं होता इंसान मेहनत करें तो बड़े से बड़ा काम कर जाता है फिर उसी नाम तो लोग पसंद करने लगते हैं।


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