AJAY AMITABH SUMAN

Others

3  

AJAY AMITABH SUMAN

Others

ओहदा

ओहदा

3 mins
173


शाम तक फाइलों में व्यस्त रहने के बाद शुक्ला जी ने अपने क्लर्क से आगामी सप्ताह आने वाली फाइलों के बारे में पूछताछ की। क्लर्क ने सारी फाइलों की डिटेल शुक्ला जी को बता दी। कुछ फाइलें हाई कोर्ट की थी तो कुछ फाइलें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की थीं। 


पास ही बैठे उनके सहयोगी गुप्ता जी ने हाई कोर्ट में आने वाली फाइल के बारे में पूछा तो क्लर्क उस वकील का नाम बता दिया जो उस फाइल को हैंडल करने वाले थे। गुप्ता जी ने पूछा कि उस फाइल के बारे में तो मुझसे बात की गई थी। फिर किसी और को फाइल क्यों पकड़ा दिया गया? क्लर्क ने शुक्ला जी की तरफ इशारा कर दिया।


शुक्ला जी ने कहा; गुप्ता जी आपको तो पता ही है; काफी काम करना है इस फ़ाइल में। आपने कोई रुचि नहीं दिखाई सो मैंने फाइल किसी और को दे दिया है।


गुप्ता जी ने कहा; अरे भाई रुचि दिखाई या ना दिखाई ; क्या फर्क पड़ता है? फाइल तो लाकर मुझे दे देते। फिर मैं निश्चय करता कि मुझे केस को करना है या नहीं।


गुप्ता जी इन बातों ने शुक्ला जी के अहम को चोटिल कर दिया। उन्होंने चुभती हुई आवाज में कहा; गुप्ता जी आपने मुझे क्लर्क समझ रखा है क्या जो फ़ाइलों को ढोता फिरूँ? आपको रुचि थी तो फाइल खुद ही मंगवा लेते।


शुक्ला जी को इस बात का ध्यान नहीं रहा कि अनजाने में उनके द्वारा दिये गए जवाब का असर किस पे किस पे हो सकता है। उनके क्लर्क को ये बात चुभ गई। उसने गुप्ता जी से पूछा; सर क्या क्लर्क का काम केवल फाइल ढोना ही होता है क्या? क्या क्लर्क मंद बुद्धि के ही होते हैं?


शुक्ला जी उसकी बात समझ गए। उन्होंने बताया; नहीं ऐसी बात बिल्कुल नहीं है। क्लर्क काफी महत्वपूर्ण हैं किसी भी वकील के लिये। ऐसा नहीं है कि क्लर्क कम बुद्धिमत्ता वाले ही होते हैं। उन्होंने बहुत सारे उदाहरण दिये जहाँ क्लर्क अपने मेहनत के बल पर जज और वकील बन गए।


शुक्ला जी ने आगे बताया; केवल ओहदा काफी नहीं है किसी के लिए। किसी ने वकील की डिग्री ले ली है इसका ये मतलब नहीं कि वो वकील का काम करने में भी सक्षम हो। बहुत सारे वकील मिल जाएंगे जो आजीवन क्लरिकल जॉब ही करते रहे गए और बहुत सारे ऐसे क्लर्क भी मिल जाएंगे तो वकीलों से भी ज्यादा काम कर लेते हैं।


केवल डिग्री या पद काफी नहीं है पदानुसार सम्मान प्राप्त करने के लिए। सम्मान कमाना पड़ता है। एक विशेष पदवी पर आसीन व्यक्ति के पास उसी तरह की योग्यता या बुद्धिमता हो ये कोई जरूरी । बुद्धिमता तो सतत अभ्यास मांगती है। इसे लगातार कोशिश करके अर्जित करना पड़ता है। 


महाभारत के समय सारथी को नीची दृष्टि से देखा जाता था। महारथी कर्ण को जीवन भर सूतपुत्र कहकर अपमानित किया जाता रहा। परंतु जब भगवान श्रीकृष्ण ने सारथी का काम किया तो उनकी गरिमा का क्षय नहीं हुआ बल्कि सारथी का पद ही ऊंचा हो गया।


अल्बर्ट आइंस्टीन भी ऑफिस में किसी बड़े पोस्ट पर नहीं थे। उनका जॉब भी क्लरिकल ही था। परंतु विज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने कितनी ऊंचाई प्राप्त की ये सब जानते हैं। आजकल अल्बर्ट आइंस्टीन को महान वैज्ञानिक के रूप में ही जाना जाता है न कि इस बात के लिए की वो किस प्रकार का जॉब किया करते थे।


अनजाने में शुक्ला जी के मुख से जो बात निकल गई थी उसकी भरपाई करने की शुक्ला जी ने काफी कोशिश की। शुक्ला जी की कोशिश रंग ला रही थी। उनके क्लर्क के चेहरे पर शांति की मुस्कान प्रतिफलित होने लगी थी।



Rate this content
Log in