निषिद्ध नियम
निषिद्ध नियम
लगातार दरवाजा पीटे जाने की आवाज़ से ऋद्धा की आँख खुल गई। आँखों में थकान और अधूरी नींद के काँटे चुभने लगे। मन हुआ वापस पलट कर सो जाए। अभी तो उम्मीद और सुकून का अहसास तारी हुआ ही है। 10 सालों से बिना सास की गृहस्थी का जुआ उसके कँधों पर कसकते हुए गाँठों का रूप ले चुका था। 3 दिन पहले ही तो बड़े अरमान से देवर को ब्याह लाई थी। नाजुक दुबली -पतली देवरानी की बलैया लेते नही थक रही थी , वह और उसकी बड़ी छोटी स्नेहिल ननदें।
थकान से उसके सूजे पैर देखकर बड़े ही लाड़ से बड़ी नन्द नेहल बोली थी, "बड़ी भाभी बस अब 4-8 दिन खूब आराम कर लेना छोटी भाभी तुम्हारा काम हल्का कर देगी, जैसे 10 साल पहले तुमने मेरा किया था याद है, इस छोटी आफत की पुड़िया निकिता को तुम्हारी गोद में डालकर ही निश्चिंत हो कर मैं ससुराल जा पाई थी। प्यार से धौल जमाते हुए निकिता की ओर देखते हुए नेहल बोली।"
ऋद्धा मुस्कुराते हुए, नेहल निकिता के साथ उन्ही यादों में डूब गईं। बिना खटखटाये कमरे में कभी भी घुस आना , भैया भाभी के बीच घुसकर सो जाना, खाना बन जाने के बाद फरमाइशी खाना बनवाना और रोज़ ऋद्धा के आफिस जाने के पहले चोटी खोल बिसूरना शुरू कर देना। लगभग रोज़ देर करवाना। अचानक निकिता बोली थी ,"चलो अब छोटे भैया भाभी सँग रोज़ चौपाटी चाट खाने जाऊँगी", उनसे सुबह शाम फिल्मों की गपशप और सबसे बड़ी बात, ,भाभी माँ बुरा मत मानना , पर आपकी नसीहतों , सिखावनी, और उपदेशों से निजात मिल जाएगी, कि निक्की ऐसा मत करो ,वैसा करो, सबकी बात ध्यान से सुनो, सलीके से बोलो , उठो बैठो, खाना बनाना सीख लो, बिना इजाज़त किसी की कोई चीज़ मत छुओ, सच्ची भाभी माँ दस साल में ससुराल में रहने के कितने नियम कायदे रटवा दिए हैं, अब छोटी भाभी मेरी सखी रहेंगी ,आप माँ और लाड़ से ऋद्धा के गले में लटक गई थी। नेहल बोली थी ,तेरी भलाई के लिए बताती है, नहीं तो तेरे ससुराल से उलाहने आएंगे की बिन माँ की बच्ची को भाभी ने कुछ नहीं सिखाया। नींद की प्यासी कँटीली आँखे बंद किये -2 ऋद्धा उन्ही स्मृतियों डूब उतरा रही थी कि, दरवाजा फिर ज़ोर से बजा। अलसाये स्वर में ऋद्धा बोली "दरवाजा खुला है। कौन है आ जाओ।"
धीरे से दरवाजा खुला और रोती हुई निकिता की और देवरानी श्वेता की तीखी आवाज़ ने ऋद्धा को नींद की खुमारी से बाहर खींच लिया । श्वेता चीख रही थी, इतनी बड़ी हो गई मैनर्स सब बेच खाये हैं क्या, नींद लगी ही थी कि, महारानी ननदपना दिखा रही हैं, शरबत बना दो, ये बना दो, वो बना दो खाना खाते समय पेट भर नहीं खाया क्या!!!इनके साथ साथ कमरे में घुस आई ,अपने नखरे मुझे मत दिखाना। आज के बाद बिना पूछे , दरवाज़ा खटखटाये बिना कमरे में मत आना।
ऊपर से बड़ी ननद भी दौड़ी आईं , निकिता बड़ी- बड़ी मीनल आंखों में आँसू लिए ऋद्धा से लिपट गई। सुस्थ होने तक ऋद्धा उसे गले से लगा पीठ पर हाथ फेरती रही।
टुकड़े-2 में निकिता ने तीनों दिनों की बात उससे कह डाली, कैसे श्वेता उसे पहले दिन से ही रूखेपन बात कर रही थी, उसकी उपेक्षा कर रही थी , पिछली शाम वो चाट खाने के लिए उन दोनों के साथ जाने के लिए तैयार हो रही थी और वो उसे छोड़कर चले गये। और अभी, उसकी आँखें फिर आँसुओं से भर गईं , छोटे भैया के आफिस से लौटे उनके पीछे-2 वो भी कमरे में चली गई तो भाभी ने झिड़क कर भगा दिया कि नवेले जोड़े के बीच वो दाल भात में मूसरचन्द है।
भाभी आपकी भी तो नवेली शादी थी मुझे तो कभी नहीं लगा कि मैं आपसे अलग हूँ या शादी के बाद बड़े भैया की फैमिली अलग हो गई!!! मैं तो आज भी आप दोनों की लाडली हूँ।
हक्का बक्का ऋद्धा और नेहल उसे समझाने आगे बढ़े तो , निकिता सुबकते हुये उन दोनों के गले में लिपटते हुए बोल उठी, "भाभी सब मामलों में आप मेरी कोहिनूर हीरा हो, पर छोटी भाभी एक मामले में आपसे आगे निकल गईं.. . जो बात आप 10 साल में मुझे नहीं सिखा पाईं, श्वेता भाभी ने 3 दिन में सिखा दी,कि ससुराल में क्या -क्या नहीं करना चाहिए ।"