मम्मी का तोहफ़ा
मम्मी का तोहफ़ा
उस दिन मेरी मम्मी का जन्मदिन था। वह 35 की हो गई थी। हमने अपने सारे रिश्तेदारों और पड़ोसियों को बुलाया था। बहुत ही धूमधाम से हमने उस दिन को मनाया। ज़ाहिर सी बात है कि मेरी मम्मी को उनके जन्मदिन के तोहफ़े भी मिले थे। मम्मी से ज़्यादा तो मुझे उत्सुकता हो रही थी तोहफ़े खोलने के लिए , कि देखूं तो सही अंदर क्या है ? तो मैं और मेरी मम्मी दोनों एक साथ बैठे तोहफ़े खोलने के लिए। मेरे पापा को इन सब में दिलचस्पी नहीं थी। मम्मी को सारे तोहफ़े पसंद आए सिवाय एक साड़ी को छोड़कर। उन्हें लगा कि यह उनके लिए बहुत ही हल्का है, तो उन्होंने सोचा कि वह उसका क्या करें? कुछ दिन मम्मी ने उसे घर पर रखा।
उस घटना के बाद बहुत दिन गुज़र गए थे, तब हमें किसी के जन्मदिन पर जाना था। फ़िर मम्मी ने सोचा, कि वह साड़ी वे उनको पैक कर देंगी। तो वे बाजार, गई तोहफ़ा लपेटने का सामान खरीद लाई, और उसे भेंट करने के लिए बिल्कुल तैयार कर दिया। तो फ़िर हम निकल पड़े उनके घर जाने के लिए। कुछ देर बाद हम उनके घर पहुंचे उनको तोहफा दिया, खाना खाया, बहुत मजे किए और घर वापस आ गए।
आज उस घटना को भी गुज़र के कई साल हो गए हैं, ईस बार फ़िर से मेरी मम्मी का 40 वा जन्मदिन था। ईस बार भी हमने लोगों को बुलाया था, बहुत मज़े किए थे, और मम्मी को बहुत सारे तोहफ़े भी मिले थे। उस बार की तरह इस बार भी मुझे ही ज़्यादा उत्सुकता थी तोहफ़ो के देखने के लिए। तो हमने , यानी मेरी मम्मी और मैंने तोहफ़े देखना शुरू कर दिया। और जब हमने बक्से खोलें तो पता है क्या देखा! कि किसी ने मम्मी को वही साड़ी लौटा दी है, जिसको मम्मी ने कई साल पहले किसी और को दे दिया था ।
इसके बाद मम्मी ने कहा ,की "अगर इतने सालों बाद, साड़ी मेरे घर फ़िर से वापस आ गई है, तो अब मैं इसे पहन ही लेती हूँ।
