मासूम हंसी
मासूम हंसी


उसकी वह मासूम हंसी दिल पर अद्भुत,अविस्मरणीय और गहरी छाप छोड़ गई।
आज की सुबह तारा को कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही थी। क्योंकि बहुत दिनों बाद तारा आज हॉस्टल से घर जा रही थी। उसके चेहरे पर की खुशी आज कुछ अलग ही दिख रही थी। उसके चेहरे पर का तेज़ आज सूर्य के तेज़ को भी फीका कर दे वैसा था। हॉस्टल से बाहर निकलते ही उसे ऐसा लगा जैसे कि वह किसी जेल से छूटकर आजाद हो गई हो। क्योंकि हॉस्टल और घर के वातावरण में जमीन आसमान का फर्क होता है। हॉस्टल चाहे कितनी अच्छी क्यों ना हो मगर वह घर के आगे कुछ भी नहीं। हॉस्टल में हमें हॉस्टल के नियमों का पालन करना पड़ता है और घर पर हम अपनी मर्जी के मालिक होते हैं। इसलिए तारा आज बहुत खुश थी।
बस आने में अभी समय बाकी था। इसलिए तारा ने सोचा कि क्यों ना चाय नाश्ता किया जाए। इसलिए वह हॉस्टल के बगल में चाय नाश्ते की टपरी पर चाय नाश्ता करने रुक गई।
उसने एक चाय और ब्रेड मंगाई। अभी तो उसने ब्रेड का टुकड़ा मुंह में डाला ही था कि अचानक वहां उसके सामने एक छोटा सा लड़का आकर खड़ा हो गया। उस लड़के को देखकर ऐसा लगा जैसे वह लड़का बहुत दिनोंं से नहाया ना हो। उसके बाल भी बिखरे हुए थे। उसके कपड़े बहुत मेले थे। मगर उसका चेहरा मासूम था। उस लड़केेे ने तारा सेे कहांं की मुझे पैसेेे दे दो मुझेेेे बहुत भूख लगी है। अगर ऐसे कोई पैसे मांगने आए तो तारा पैसे देती नहीं। क्योंकि उसका मानना था कि भीख में पैसे मांगना आजकल लोगों का धंंधा बन चुका है। इसलिए ताराने उस छोटे से लड़के से कहां की अगर पैसे चाहिए तो नहीं दूंगी मगर कुछ खाना है तो बोलो।
लड़के पर तरस आ जाए वैैैसे भाव से लड़के ने कहा की मुझेेे चाय पीनी है। तारा ने हा कहां और
चायवालेे से चााय देने के लिए कहा। उस लड़के केे हाथ में चाय आते ही उसके पास एक छोटी सी लड़की आकर खड़ी हो गई। उस लड़की को देख कर भी ऐसा लग रहा था जैसे वह भी बहुत दिनों से नहाई ना हो। उसके बाल खुले हुए थे। उसके कपड़ेे भी मेले थे। पर एक पल के लिए तारा की नजर उस छोटी सी लड़की के चेहरे पर से हटी ही नहीं। उसके चेहरे की मासूमियत ने तारा का मन मोह लिया था। फिर वह छोटा सा लड़का और छोटी सी लड़की वहां से निकलकर बगल वाली ट्रेवल्स की दुकान के बाहर बैठ गए।
तारा की नजर चाय पीते पीते उन दोनोंं पर पड़ी।
एक आधी चाय मेंं से वह दोनों चाय पी रहे थे। उन दोनों को देखकर खास उस छोटी सी लड़की को देखकर तारा को उन पर तरस आ गया। तारा ने अपनी ब्रेड उस लड़की को जाकर दे दी ।वह लड़की तारा केेेे सामने देखकर ऐसे खुश हुई जैसे तारा ने उसे ब्रेड नहीं कोई कीमती चीज दे दी हो। उस छोटी सी लड़की की हंसी में कुछ अलग सा ही तेज था। जिसेे तारा आज तक नहीं भूल पाई। उस लड़की की वह मासूम हंसी तारा के दिल पर अद्भुत, अविस्मरणीय और गहरी छाप छोड़़ गई। बस स्टैंड की तरफ जाते वक्त न जाने क्यों तारा उस छोटी सी लड़की को बार-बार पीछे मुड़कर देखने लगी। जैसे तारा का मन और नजर उस छोटी सी लड़की के मासूम चेहरे पर ही टिक गई हो।
बस में बैठने केेे बाद भी तारा को उस छोटी सी लड़की का हंसता हुआ चेहरा बार बार नजर आता।
तारा सफर दरमियान उन दोनों बच्चों के बारेेे में ही सोचती रही।
तारा सोच रही थी कि उसने उस छोटे सेेे लड़के को आधी चाय दी और उस छोटे से लड़के ने उस आधी चाय में से भी आधी चाय उस छोटी सी लड़की को दी और तारा ने उस छोटी सी लड़की को ब्रेड दिया तो उस छोटी सी लड़की ने उस ब्रेड के कुछ टुकड़े उस छोटे से लड़के को दिए। उन दोनों बच्चों को देखकर ऐसा लगे जैसे वह दोनों बहुत ही भूखे हैं और उनकी भूख के मुताबिक खाना बहुत ही कम। फिर भी उन्होंने एक दूसरे के साथ खाना बाटा। अगर उनकी जगह पर हम होते तो अपनी एक मनपसंद चॉकलेट भी शायद किसी के साथ बांटना पसंद नहीं करते तो फिर किसी को खाना खिलाने की बात तो दूर रही।
वैसे देखनेे जाए तो उस छोटी सी लड़की के पास कुछ नहीं था। फिर भी उसके चेहरे पर खुशी, शांति और संतोष था। तारा उन बच्चोंं से कई ज्यादा सुखी थी पर वो छोटी-छोटी बातों पर दुखी हो जाया करती थी। उसके मन को शांति और संतोष न था।
आज तारा को एक छोटी सी बच्ची ने बहुत कुछ शिखा दिया था। जैसे कि जीवन में छोटी-छोटी खुशियांं मिलने पर भी खुश होना चाहिए। चाहे जीवन में कितना भी दुख क्यों न हों वह दुख चेहरे पर नहींं दिखना चाहिए। चेहरा हमेशा हंसता हुआ रखना चाहिए। ईश्वर ने हमें जितना भी दिया है उसमें हमें संतुष्ट रहना चाहिए। ईश्वर का आभार मानना चाहिए क्योंकि ईश्वर ने जितना हमें दिया शायद उतना दूसरों को मिला भी न हो। मनुष्य अवतार बार-बार नहींं मिलता। मिला है तो मन भर के जियो। बिना कोई अफसोस, शोक और चिंता किये।
कभी-कभी बच्चे भी बहुत कुछ सिखा जाते हैं आज तारा के लिए वह बात साबित हो गई।