क्या गरीब क्या अमीर
क्या गरीब क्या अमीर
"रोशनी एवं नित्या दोनों हम उम्र की बेटियाँ थीं उनकी उम्र 10 वर्ष थी जिसमें रोशनी एक गरीब परिवार तथा नित्या एक अमीर परिवार की बेटी थी।"
10 वर्ष की रोशनी आज बहुत खुश थी, क्योंकि आज जहाँ उसकी माँ बर्तन धोने जातीं थी उनके घर बहुत बड़ा समारोह था क्योंकि उनकी बेटी 'नित्या' जो 'रोशनी' की उम्र की थी वह अपनी कक्षा में सर्वप्रथम उतीर्ण हुई थी, आज माँ के साथ रोशनी भी वहाँ जाएगी उसकी माँ चाहती थी रोशनी उनकी मदद करे, पर रोशनी तो वहाँ इसलिए जा रहीं थी क्योंकि उसे वहाँ उसकी उम्र के बच्चे मिलेंगे और खेलना भी पर इसके अलावा रोशनी को पढ़ना भी अच्छा लगता था वह पढ़ना चाहती थी जहाँ कहीं उसे कुछ सीखने को मिलता वह बस पहुँच जाती। आज इस समारोह में शिक्षक और बच्चों को देखकर रोशनी अपनी माँ से कहने लगीं "माँ मैं भी पढ़ना चाहतीं हूँ।" माँ की आँखों से आँसू निकल आए और वह बिना कुछ कहे उसे गले लगाकर रो पड़ी। कुछ समय बाद जब नित्या से उसके अध्यापक ने कुछ सवाल किये जो हमारी संस्कृति एवं संस्कारों के बारे में थे मगर नित्या ने कुछ सवालों के जवाब नहीं दिए और रोशनी अपने आप को उन सवालों के जवाब देने से नहीं रोक पाई और रोशनी ने ये साबित कर दिया कि संस्कार किसी किताब से सीखने को नहीं मिलते मगर फिर क्या था..! आज फिर उसकी 'गरीबी ने उसकी काबिलीयत को हरा दिया' जहाँ रोशनी के लिए तालियाँ बजनी थी वहाँ नित्या के लिए बजाई जा रहीं थीं।
तब ही रोशनी के मन में ख्याल आया....
"क्या हुआ अगर आज
तालियों की हकदार मैं ना हुई, एक दिन वो भी आएगा जब गुंजेगी तालियाँ
मेरे लिए भी...
मेरे लिए भी...!
