किसकी ननद समझदार?

किसकी ननद समझदार?

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शीतल की सुबह की खुमारी अभी उतरी भी ना थी बस वो सोच रही थी, कि रोज़ का काम करना शुरू कर देती हूं मांजी भी चाय का इंतजार कर रही होंगी। मनू को भी स्कूल बस आने के पहले तैयार करना है और रमा आएगी तो उसके साथ मिलकर राहुल और अपना लंच बॉक्स बनाकर पैक कर लूंगी और मांजी के लिए सादा खाना बना के रखना है। ऑफ़िस में मीटिंग है उसके भी प्वॉइंट्स रेडी किए हैं उनको एक बार देखना है, साफ-सफाई बाद में रमा करती रहेगी।

शीतल अपने विचारों की दुनिया में सोच ही रही थी कि अचानक से मोबाइल की घंटी बजने लगी देखा तो रमा का फोन था इतनी सुबह सुबह उसका फोन ज़रूर कुछ ना कुछ गड़बड़ है, घबराते हुए शीतल ने फोन उठाया तो वहां से रमा बोली "दीदी रात में मेरी माँ की तबियत खराब हो गई तो वह हॉस्पिटल में भर्ती है तो फिर मैं नहीं आ पाऊंगी।"

ऐसी अवस्था में शीतल भी उसको क्या बोलती बस उसको ध्यान रखने को बोला, और कहा कि कुछ जरूरत हो तो बता देना। पर वह मन ही मन सोच रही थी कि कैसे सारा काम खत्म किया जाएगा, मांजी तो अपनी दिनचर्या से समझौता नहीं करने वाली और ना ही कोई सहयोग करेंगी। उसने राहुल को उठाया और अपनी समस्या बताई दोनों ने मिलकर डिसाइड किया कि दोनों ऑफ़िस में लंच कर लेंगे "शीतल माँ का लंच बना कर रख देना और नाश्ता बना लो मैं जब तक मनू को तैयार करके बस में छोड़ कर आता हूं आज सफाई रहने दो बाद में देखेंगे उसको।" 


 शीतल फटाफट बाथरूम में नहाने के लिए गई और फिर किचन में जाकर सारे काम करने लगी, नाश्ते में पोहा बनाया और माँ के लिए प्रेशर कुकर में दलिया बना दी। मनु को स्कूल के लिए लंच बॉक्स पैक करके दिया। राहुल उसको बस में छोड़ कर आया और नहाने चला गया शीतल ने माँ को चाय नाश्ता बना कर दिया, और फिर राहुल और अपने लिए नाश्ता लगाया दोनों लोगों ने नाश्ता किया और माँ को बता दिया कि आज बाई नहीं आने वाली है। इसलिए शाम को शीतल जल्दी घर आ जाएगी और आते समय बेबी सिटिंग से मनु को लेकर आएगी और आपके लिए दलिया बनाकर रख दिया है दलिया का नाम सुनकर मांजी का मुंह बन गया पर कुछ बोली नहीं।

शाम को शीतल जल्दी वापस आ गई, एक दिन तो कैसे करके निकल गया दूसरे दिन शीतल ने छुट्टी ले ली तो सारे काम आसानी से निपट गए ।

दो दिन के बाद जब रमा वापस आई तो शीतल ने रमा से उसकी माँ का हाल पूछा तो बोली "दीदी आज माँ को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाएगी, अब उनकी तबियत ठीक है, आज उनके साथ मेरा भाई रुका हुआ है।"

 शीतल बोली "तुम्हारी भाभी भी तो है, क्या वह हॉस्पिटल नहीं आई , क्या घर पर है?


"नहीं दीदी, भाभी को छुट्टी नहीं मिली ना उसका नया नया जॉब है इसके लिए मैंने, दीदी ने और भाई ने मिलकर सब संभाल लिया।"

"तो तुम्हारी भाभी ने एक भी छुट्टी नहीं लिया? शीतल आश्चर्य से बोली" 

अरे दीदी क्या जरूरत है, भाभी का जॉब में जाना जरूरी था ना तो हम लोगों ने सब संभाल लिया बड़े शांत स्वर में रमा बोल रही थी, और शीतल सोच रही थी जब उसकी सास की अचानक तबियत खराब हो गई थी तो उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा था और उस दिन शीतल की ऑफ़िस में इंपॉर्टेंट मीटिंग थी उसने अपने दोनों ननदों को जो उसी शहर में रहती थी उनको बताया कि वह लोग आ जाएं माँ का ध्यान रखने के लिए, और राहुल ने छुट्टी ले ली थी , दोनों ननद आ तो गई पर शीतल को बहुत सुनाया उन्होंने..."भाभी अगर तुम्हारी माँ होती तो क्या छुट्टी ना लेती ऑफ़िस से, आपको तो माँ की कोई चिंता नहीं है अगर एक दिन ऑफ़िस नहीं जाओगी तो क्या हो जाएगा हम लोग तो अपनी सास के साथ ऐसा करने की सोच भी नहीं सकते आप बहुत खुश किस्मत हो जो आपको इतना अच्छा ससुराल मिला है और इतनी अच्छी ननदें, इसीलिए आप सब का फायदा उठा लेती हो।" 

राहुल को पता था कि शीतल का जाना बहुत जरूरी है इसलिए उसने अपनी बहनों को संभाल लिया, ऑफ़िस से मीटिंग खत्म कर शीतल तुरंत वापस आ गई थी और घर से खाना बना कर लाई थी फिर भी दोनों ननदों ने शीतल को माफ़ नहीं किया और आज भी बात बात पर उसको इस बात के लिए ताने देती रहती हैं कि उसको माँ की कोई चिंता नहीं है।

एक ये रमा है कितनी आसानी से कह रही है कि भाभी को छुट्टी नहीं मिल सकती और उन लोगों ने आराम से सारा हॉस्पिटल का काम निपटा लिया चेहरे पर भाभी के लिए एक शिकायत नहीं दिख रही है। वह अपनी भाभी की मजबूरी समझ गई तो उसकी ननदों ने क्यों नहीं उसकी मजबूरी को समझा और आज भी उस बात के लिए उसको ताने देती रहती हैं। जबकि शीतल ने दूसरे दिन ऑफ़िस से छुट्टी ले ली थी और राहुल ऑफ़िस गया था लेकिन राहुल के ऑफ़िस जाने से उन लोगों को कोई परेशानी नहीं हुई। क्या सारी जिम्मेदारी एक बहू की होती है अगर ननदें थोड़ा सा सहयोग कर दें तो उसको वह इतना क्यों सुनाती हैं आखिर वो उनकी भी तो माँ हैं।

कम पढ़ी-लिखी रमा और उसकी पढ़ी-लिखी ननदों की सोच में इतना अंतर क्यों है ? शीतल की इस बात का उत्तर आप ज़रूर दीजिए।



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