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Mukesh Kumar Sonkar

Others

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Mukesh Kumar Sonkar

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खोटा सिक्का

खोटा सिक्का

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"अरे नालायक! तुझे कितनी बार समझाया है कि कुछ पढ़ाई लिखाई कर ले तेरे ही काम आएगी, नहीं तो दुनिया कहेगी गुप्ता जी ने अपने बड़े बेटे को पढ़ाया लेकिन दूसरे को ऐसे ही छोड़ दिया......गुप्ता जी अपने छोटे बेटे सुनील को डांटते हुए बोले। ये तो रोज की बात थी गुप्ता जी के छोटे बेटे सुनील का पढ़ाई में मन नहीं लगता था जबकि उनका बड़ा बेटा पढ़ाई में होशियार था। 

   

   इसी तरह समय बीतता गया और गुप्ता जी का बड़ा बेटा पढ़ लिखकर इंजिनियर बन गया लेकिन सुनील ने जैसे तैसे आठवीं तक पढ़ने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और अब गुप्ता जी भी बुजुर्ग होकर अपनी बैंक क्लर्क की नौकरी से रिटायर हो गए थे, उन्हें अपने बड़े बेटे अनिल से काफी उम्मीदें थी कि वो उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा लेकिन किस्मत देखिए वो बेचारा इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर यहां वहां नौकरी के लिए मारा मारा फिरता रहा लेकिन आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में उसे कहीं अपने लायक नौकरी नहीं मिली और छोटी नौकरी उसे गवारा नहीं थी। जिसके कारण गुप्ता जी काफी परेशानी में थे और इस बुढ़ापे में भी उन्हें अपने जीवन बसर की चिंता होने लगी थी क्योंकि सिर्फ उनके पेंशन के सहारे इतना बड़ा परिवार चलना मुश्किल था।


   ऐसे में उनका छोटा बेटा सुनील जो भले ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाया था लेकिन अपने क्षेत्र के नेताजी के साथ घूमकर उसने अपनी अच्छी खासी पहचान बना ली थी और अब आने वाले चुनावों में पार्टी उसे क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित कर रही थी। कुछ दिनों बाद चुनाव भी हुआ और रिजल्ट देखकर गुप्ताजी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, सुनील चुनाव जीतकर क्षेत्र का एमएलए बन गया था और उनके घर के सामने अब लाल बत्ती कार और गार्ड्स तैनात थे। 


   एक ओर गुप्ता जी का पढ़ा लिखा इंजीनियर बेटा अनिल जिसकी पढ़ाई में उन्होंने अपने जीवन भर की जमा पूंजी लुटाई लेकिन जीवनयापन के लिए उसे एक नौकरी भी नसीब नहीं हुई और दूसरी ओर सुनील जिसे वो खोटा सिक्का समझते थे, आज उसी ने अपने पिताजी का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था और गुप्ता जी के परिचित और रिश्तेदार भी कहने से चूक नहीं रहे थे कि आखिर खोटा सिक्का ही आपके काम आ गया।


   इसलिए हमें कभी किसी इंसान को कमतर नहीं आंकना चाहिए क्या पता वक्त का पहिया किस ओर घूम जाए, वक्त बदलते हुए देर नहीं लगती और कभी कभी हम जिन्हें खोटे सिक्के समझकर नजरंदाज करते हैं वही हमारे काम आ जाते हैं।



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