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Mukesh Kumar Sonkar

Children Stories Inspirational

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Mukesh Kumar Sonkar

Children Stories Inspirational

आदर्श गांव

आदर्श गांव

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    रस्सी वाली बाल्टी लेकर गांव के कुएं से पानी खींचती महिलाओं में चर्चा हो रही थी आषाढ़ का पूरा माह बीत गया और सावन महीना भी आधा होने को आया है लेकिन अब तक बारिश की बूंदों का आगमन यहां हुआ नहीं है। कुएं का पानी भी सुख कर बिल्कुल तलहटी तक पहुंचने को है जिससे पनिहारिनों की बाल्टियों में पानी के साथ साथ कीचड़ भी आना शुरू हो गया था।


     गांव वालों की निस्तारी का एकमात्र साधन तालाब भी लगभग सुख चुका था उसमें नाम मात्र का पानी बचा था जो तालाब के बीचोंबिच थोड़े से क्षेत्र में कीचड़ के साथ जमा था। गांव वाले जैसे तैसे उसी में अपनी निस्तारी करते आ रहे थे।पिछले साल भी बारिश सामान्य से कम ही हुई थी जिससे खेतिहर किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।


    अब इस साल भी अब तक मानसून के दर्शन नहीं होने से किसान बादलों की ओर उम्मीद भरी नजरें टिकाए बैठे थे। सूखे और अकाल की आशंका से गांव के निवासियों का दिलो दिमाग कांप रहा था। गांव के मंदिर में जाकर भगवान से प्रार्थना करने के अलावा अन्य और कोई उपाय उन्हें नहीं सूझता था।


    भगवान ने शायद उनकी पुकार सुन ली और उस गांव के मुखिया जी की छोटी सी बच्ची दिव्यांशी जो कक्षा 7 में पढ़ती थी, उसने अपने स्कूल में इस समस्या के कारणों और निदान के बारे में सुनकर गांववालों को भी इस बारे में जागृत करने की सोची।


    उसने इस बारे में सबसे पहले अपने पिता से बात की, और उन्हें भी उसका उपाय सही लगा। अब शाम का अंधेरा घिरने के बाद पंचायत की चौपाल में ग्रामीणों को इकट्ठा करके मुखिया जी और उनकी बेटी दिव्यांशी ने उन्हें बारिश में कमी या फिर बारिश न होने के कारणों के बारे में बताया कि दिन ब दिन कम हो रही वर्षा के पीछे सबसे बड़ा कारण उनके ही द्वारा अंधाधुंध काटे जाने वाले पेड़ पौधे हैं।


     पेड़ पौधे बारिश कराने वाले बादलों को आकर्षित करके वर्षा कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें ही काटकर हम खुद प्रकृति का संतुलन गड़बड़ा कर अपने विनाश को न्योता दे रहे हैं। जब इस समस्या से जूझना हमको पड़ता है तो इससे राहत के उपाय भी हमें ही खोजने होंगे न कि सरकार को। उनकी इन बातों ने गांव वालों की आंखें खोल दी थी और अब उन्होंने प्रण कर लिया था की गांव में कोई भी इंसान अब पेड़ नहीं काटेगा और अब से हर कोई अपने खेतों और घरों में पेड़ पौधे लगाएंगे।


    दूसरे दिन से ही उन्होंने इस योजना पर काम शुरू कर दिया था और इस साल उन्होंने जमकर पेड़ पौधे लगाए जो इस साल की थोड़ी बहुत हुई बारिश में सींचकर बढ़ने लगे थे। कुछ साल में ही वे पेड़ पौधे बढ़ गए थे और गांव में चारों तरफ हरियाली दिखाई दे रही थी। इसका असर वहां के मौसम पर भी हुआ और प्रकृति ने उनके इस परिश्रम का पूरा प्रतिफल उन्हें देकर इस साल वहां जमकर बादलों को बरसाया था जिससे एक बार फिर से उस गांव में चहुं ओर हरियाली छाई हुई थी।

अब उनके गांव को देखकर अन्य गांवों में भी वृक्षारोपण अभियान चलाया गया और चारों ओर हरियाली खुशहाली फैलने लगी। इस प्रकार एक छोटी सी बच्ची की समझदारी से उसका गांव अब सबके लिए आदर्श बन गया था।


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