कड़वाहट
कड़वाहट
सुनसान रात में राधेय तेज़ कदमों के साथ अपने घर की और चला जा रहा था। चाहता था कि झट से माँ के पास पहुंच जाए और उससे लिपट कर जी भर के रो ले और अपनी गलतियों का प्रायश्चित कर ले।
आज की घटना उसके बाल-मन को विचलित किए हुए थी। होटल मालिक ने आज उसे माँ की गाली दी और हाथ भी चलाया, तब से उसका मन खिन्न हो गया, रह रह कर यही सोच रहा था कि आखिर वह घर से भाग कर आया ही क्यों? उसके माँ बाप उसे कितना प्यार करते थे, माँ ने उसे पीटा, तो वह घर से भाग गया। आखिर ग़लती तो उसकी ही थी, क्यो गया था स्कूल बंक करके पिक्चर देखने।
सामने घर नजर आ रहा था उसने अपनी मैली सी कमीज़ से आँसू पोंछे और कुंडी खटखटायी, दरवाज़ा माँ ने ही खोला मानो उसी की बाट जोह रही हो, वो माँ से लिपट गया " मुझे माफ़ कर दो माँ।"
दोनों की आँखो से अश्रु धारा बह निकली जिसमे बाल-मन की सारी कड़वाहट बही जा रही थी।
