Yog Raj Sharma

Children Stories Drama Tragedy

4.4  

Yog Raj Sharma

Children Stories Drama Tragedy

जुलाही और गीदड़

जुलाही और गीदड़

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एक समय की बात है प्राचीन विशाल सम्राज्य में एक गरीब रहता था जिसका नाम जुलाही था। वह जीवन यापन करने के लिए अपने नदी किनारे पर बनाये घराट (चक्की) पर निर्भर था।वह हर दिन घराट से लोगो द्वारा पिसे आटे का भाडा(किराये) के रूप में लेता और उसी से उसका घर चलता था।

जुलाही और उसकी पत्नी बहुत दहनीय जीवन जी रहे थे। कुछ समय बीतने पर उनको एक बहुत गहन समस्या होने लगी। घराट से आटा कम मिलने लगा जिसके कारण वह बहुत परेशान था। आगे चलकर यह कम आटा भी मिलना बंद हुआ तो उसने लोगो को पूछना उचित समझा कि वह आटे के बदले भाडा देना भूल जाते है जिससे उसे ओर उसकी पत्नी को दो वक्त का खाना भी नसीब नही हो रहा है।

लोगों को पूछने पर उसे विदित होता है कि जो भी उसके यहाँ आटा पिस्ता है उसके बदले में सही और जायज भाडा छोड़ आते है। लोग उसे कहते है कि हम आपके रखे बर्तन में भाडा छोड़ आते है जब हम द्वारा घराट जाते थे तो भाडा बर्तन खाली होने पर यही समझते थे कि भाडा तुम ले गए होंगे।

जुलाही इस समस्या को अब जान गया कि यह समस्या कोई ओर ही है लोग अगर उचित किराया भाडा रख जाते है तो यह आटा कौन ले जाता है ? इसकी खोज करने की तैयारी में लग जाता है।

उस नदी के किनारे एक चालक गीदड़ अक्सर आता जाता रहता था जो पास के जंगल मे अपनी पत्नी के साथ रहता था। गीदड़ अक्सर खाने की तलाश में रहता था और जब उसे जानकारी लगी कि लोग जिस घराट में आटा पीसने आते है ,कुछ उठाये हुए आते है और उठा कर ही ले जाते है केवल एक आदमी ही है जो शाम को खाली बेग आता है और भर बेग ले जाता है।शायद यह घराट का मालिक है और दिन में केवल शाम को ही आता है और अपना भाडा ले जाता है।

भुखमरी में ग्रस्त गीदड़ एक दिन हिम्मत करके घराट में घुसता है और उसे आटा मिल जाता है जिससे वह ओर उसकी पत्नी भरपेट खाना खा पाते है। अब हर दिन गीदड़ ऐसा ही करता था।

जुलाही ने योजना बनाई कि इस समस्या का समाधान केवल नदी के तट पर रहकर ही मिल सकता है जहाँ उसकी चक्की है।

योजना बनाकर नदी की ओर प्रस्थान करता है और नदी के एक किनारे छिप कर बैठ जाता है।


जो भी लोग चक्की (घराट) आटा पीसने आते है सभी चले जाते है तभी गीदड़ मौका देख घराट में घुसता है इतना देख कर जुलाही आगबबूला होकर घराट की तरफ दौड़ कर जाता है और गीदड़ को पकड़ लेता है।

जुलाही का गुस्सा सातवें आसमान पर था ।वह गीदड़ को क्रोध में आकर जान से मारने की धमकी देता है।गीदड़ उससे माफी मांगता है कि उसकी भांति उसका भी परिवार है और वह यह सब उसके लिए करता था।

जुलाही उसे माफ कर दे।आगे से यह भूल नही होगी।

जुलाही को उस पर दया आ जाती है तो बात आगे बढ़ती है,दोनो बातों ही बातों में मित्रता की ओर अग्रसर हो जाते है।

गीदड़ उसे प्रस्ताव रखता है कि हम दोनों की परिस्थिति एक सी है क्यों न हम मित्र बन जाएं।

जुलाही गीदड़ की आपबीती अपनी जैसी पा कर उससे मित्रता कर लेता है ओर कुछ अंश उसे आटा देने का वादा करता है।

कुछ समय बीत जाने पश्चात गीदड़ जुलाही को अपने निवास स्थान पर अतिथि बनकर आने को कहता है और जुलाही उसके निमन्त्रण को स्वीकार कर लेता है।

दोनों मित्र घर की ओर प्रस्थान करते है। जंगल में जब गीदड़ का घर नजदीक आता है तो गीदड़ जुलाही से कहता है-"तुम धीरे धीरे आओ ,मुझे थोड़ा काम है में तुम्हें रास्ते में मिल जाऊंगा।"

जुलाही से विदा लेकर गीदड़ दौड़कर अपनी गुफा में जाता है और अपनी पत्नी को कहता है कि 'मेरे साथ एक आदमी आया है और वह मेरा मित्र बना था।'

गीदड़ अपनी पत्नी को कुछ भोजन का प्रबंध करने को कहता है।

गीदड़ की पत्नी कहती है - "भोजन खत्म है अब उस मित्र को क्या खिलाएंगे।"

गीदड़ चालक था उसने अपनी पत्नी को कहा कि "मैं तुझे खाना बनाने बोलूंगा तो तुम मना कर देना ओर मुझे अनाप शनाप कहना।" फिर एक छुरी को लाल रंग में डाल देता है।

गीदड़ अपनी पत्नी से-"जब मुझे गुस्सा आएगा तो तुम इस रंग की तरफ गिरना और मैं तुम्हे लाल रंग से रंग दूंगा । तुम मरने का नाटक करना और आगे मैं सम्भाल लूंगा।"

इतना कहकर गीदड़ दौड़ कर जहाँ जुलाही को छोड़ कर आया है उसकी तरफ निकल पड़ा।

जुलाही के ओर गीदड़ बाते करते करते घर पहुंचते है।

गीदड़ योजनानुसार अपनी पत्नी से कहता है-"यह जुलाही मेरा मित्र है ।इसे बैठने को आसन दो ?

गीदड़ की पत्नी- दो आसन है । एक मेने लिया है एक तुमने।

जुलाही यह देख कर चकित है और आसन के लिए मना करता है।

गीदड़ पत्नी से-मेरा मित्र आया है ।इसे खाने के लिए कुछ बनाओ ?

गीदड़ की पत्नी- भोजन खत्म है! खुद बना लो।

इतने में जुलाही चकचौक है और गीदड़ अपनी पत्नी पर आगबबूला हो जाता है।गीदड़ अपनी पत्नी को धक्का देता है और उसे चट्टान से लगाकर उस पर छुरी से वार करके लाल रंग खून से लथपथ कर देता है।

जुलाही यह देख कर घबरा जाता है और गीदड़ को देख कर चकित हो जाता है कि गीदड़ ऊंचे स्वर में मन्त्र उचारण करने लगा है।

ओम हीं क्लीं .......

कुछ समय मे गीदड़ की पत्नी उठ घड़ी हो जाती है। जुलाही गीदड़ से बहुत प्रभावित होता है और उसे ब

काविल मंत्री मानता है कि उसने मरे हुए को जीवित कर दिया। विदा लेते समय जुलाही गीदड़ को भी न्योता देता है कि -"गीदड़ मित्र हम तुम्हारे यहां आ गए कभी हमारे घर भी आना।

गीदड़ जब उसके घर जाता है तो जैसा उसने गीदड़ ने किया था वैसा ही उसने भी किया।ताकि वह अपने।मित्र की काबलियत अपनी पत्नी और लोगों को दिखा सके।

जैसा गीदड़ ने किया था चाकू से उसने गीदड़ के सामने अपनी पत्नी का गला काट दिया और गीदड़ को बोला-"मित्र मन्त्र उचारण से मेरी पत्नी को भी जिंदा कर दो। गीदड़ न जब उसे बताया कि वह एक योजना से हुआ था सच नही था । गीदड़ कोई मन्त्र नही जानता था यह जानकर जुलाही ने अपनी पत्नी को हमेशा के लिए खो दिया।


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