हिंदी से मिला सम्मान
हिंदी से मिला सम्मान
हिंदी हमारी राष्ट्रीय एवं मातृभाषा है , यह सच है कि कुछ लोग इस भाषा को बोलने में शर्म भी महसूस करते हैं ।लेकिन शायद वह ये नहीं जानते अपने देश की भाषा में जो मान सम्मान है वह हर भाषा में नहीं है ।
हमारे देश में हिंदी को मातृभाषा एवं संस्कृत को देव भाषा मानते हैं ।
हर देश के लोग अपनी अपनी भाषा बोलते हैं , लेकिन हमारे देश के लोग अंग्रेजी के पीछे दीवाने हो गए हैं ।जिन लोगों को अंग्रेजी नहीं आती , हमारे देश में उन्हें गवार समझते हैं ।
मैं हाई स्कूल में थी तभी की बात है , स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में हमारे स्कूल में कार्यक्रम रखा गया था । जिसमें नेता , मंत्री के साथ - साथ जिले के कुछ अधिकारी भी आमंत्रित थे ।
जो छात्र इंग्लिश से थे वह सभी इंग्लिश में स्पीच दे रहे थे , जिसे सुनकर अधिकारी एवं नेता मंत्री सभी लोग उत्साहित और गर्वित हो रहे थे , साथ में प्रिंसिपल और क्लास के अन्य शिक्षक भी खुशी से झूम रहे थे ।
उस लिस्ट में मेरा भी नाम था , लेकिन मैं हिंदी से थी और मुझे हिंदी में ही प्रस्तुति भी करना था ।
जैसे ही मैंने
( Good morning, everyone happy independence day )
की जगह पर सभी आदरणीय शिक्षकों एवं माननीय नेताओं को मेरा " नमस्कार " आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक " शुभकामनाएं " कहा तो सभी लोग एक टक मुझे भी देखने लगे , जैसे मैंने कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो ।यह सब देख कर मैंने जो प्रस्तुति मुझे करनी थी उसे छोड़कर , हिंदी भाषा के महत्व एवं ज्ञान के बारे में भाषण देना शुरू कर दिया ।जिसे सुनकर वहां बैठे सभी लोग स्तब्ध रह गए , उन्हें अपने आप पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी , और वह लोग शर्म से सर झुका लिए ।
मेरा भाषण खत्म होने के बाद, प्रिंसिपल सर मेरे पास आए और बोले, बेटा हम लोग तुम्हारे हिंदी में नमस्कार करने और बधाई देने से तुम्हें गवार समझ रहे थे ।लेकिन तुमने आज इस कॉलेज का नाम रोशन करने के साथ-साथ हम सभी की आंखें भी खोल दी ।
बेस्ट स्पीच अवार्ड के लिए , प्रथम तुम्हारा नाम ही चुना गया है । इसके लिए तुम्हें बहुत-बहुत बधाई और मेरी शुभकामनाएं ।तभी मंत्री जी खड़े हो गए , और वह भी हिंदी में भाषण देने लगे, और मुझसे माफी भी मांगने लगे।
मुझे बेस्ट अवार्ड विजेता भी घोषित किया गयामैं आज भी वह अवार्ड संभाल कर रखी हूं , जिससे मुझे अपनी भाषा पर गर्व होता है।मुझे अपनी भाषा पर गर्व है , इसीलिए मैं हिंदी और संस्कृत से पढ़ाई की हूं ।
(आज आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो हिंदी मीडियम वालों को गवार समझते हैं , उन्हें यह समझ नहीं कि हिंदी अपनी मातृभाषा है।)