हे परमेश्वर
हे परमेश्वर
एक अनुभव शेयर करना चाहता हूँ
दिल की बात बयान करना चाहता हूँ
कुछ दिन पूर्व चौराहा पर गया था
कई किस्म के लोग खड़े थे
कोई चाय पी रहा था तो कोई सेन्डवीच का मजा ले रहा था
कोई गरमागरम बटाटा पोहा को अपने पेट में
डालने के लिए उतावला सा नजर आ रहा था
कोई प्लेट में रखे नूडल्स को घूर घूर कर देख रहा था
यहाँ पर किसी ने मुझे क्रेडिट कार्ड दिखाया
किसी ने मुझे अपना डेबीटकार्ड दिखाया
एक शख्स ने मुझे अपने स्मार्ट फोन में
डाउनलोड की हुई ढेर सारी एप्स दिखाई
और बाद में मुझे कहने लगा,
"अय बुद्धु, देख तेरे पास है इतनी सारी एप्स!"
एक बंदे ने मुझे अपनी महंगी रिस्टवोच दिखाई
जिन्होंने मुझे यह सब दिखाया उन सब को मैंने
एक जगह पर खड़े होने कि गुजारिश की
वे सब इकट्ठे हो गये
इसी दौरान मुझे स्व. शशीजी की
" मेरे पास मां है" वाली बात याद आई
मगर मैंने इस बात को बयाँ नहीं किया
थोड़ी देर के लिए मैं चुप रहा
सब मेरी बात सुनने को उतावले-बावरे-उत्सुक थे
जैसे ही सबने मेरी ओर गौर से देखने की शुरुआत की
मैंने धीरे से कहा , " मेरे पास 'शब्द' है"