Aiman moin Raza

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गरीब का दिल

गरीब का दिल

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एक शहर का रास्ता था, रास्ते में एक भिखारी बैठा था उसका कहना था कि वो काफी दिन से भूखा है उसने रास्ते पर चलने वाले हर इंसान से मदद मांगी कि मैं काफी दिनों से भूखा हूं मुझे कुछ खाने को दे दो मेरी कुछ मदद कर दो उस रास्ते से अमीर से अमीर इंसान गुजरा लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की वो बेचारा भूख से रोने लगा।

उसी रास्ते पर एक गरीब मजदूर जा रहा था वो मजदूर सुबह से मेहनत करके रात को अपने घर कुछ पैसे लेकर आता था वो इतने पैसे नहीं कमा पाता था जिससे उसके सारे खर्चे पूरे हो सके लेकिन उसका दिल बहुत बड़ा था उसने भूखे भिकारी को रोते हुए देखा तो उससे पूछने लगा क्या हुआ क्यों रो रहे हो उसके इतना कहने पर वो भिकारी और रोने लगा और कहने लगा मैं काफी दिनों से भूखा हूं मैंने इस रास्ते पर जाने वाले हर इंसान से मदद मांगी पर किसी ने मेरी कोई बात नहीं सुनी और किसी ने मेरी तरफ देखा तक नहीं सिर्फ तुम कि पहले ऐसे इंसान हो जो मेरे पास आया और मुझसे मेरा हाल पूछने लगा तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया मजदूर ने भिकारी को चुपाया और फिर अपने थैले में से अपना खाना निकाला उसके पास सिर्फ दो रोटी और चार हरी मिर्च थी जिसमें से उसने एक रोटी और दो हरी मिर्च भिकारी को दे दी और एक रोटी और दो हरी मिर्च अपने पास रखली और अपने जेब से निकाल कर उस भिकारी को कुछ पैसे दिये और वहां से चला गया।

जब वो मजदूर अपने घर पहुंच जा तो उसकी बीवी ने उससे कहा कि अपनी आज की सारी कमाई मुझे दे दो उस मजदूर ने अपनी बीवी को पैसे दे दिए उसकी बीवी ने पैसे गिने और कहा ये पैसे कम क्यों है और पैसे कहां है मजदूर खामोश हो गया और अपनी नजरें नीची करते हुए बोला कि मुझे रास्ते में एक भिकारी मिला जो काफी दिनों से भूखा था मैंने कुछ पैसे उसे दे दिए उसकी बीवी ये सुनकर गुस्से में बोली हमारी खुद की जरूरतें पूरी नहीं हो रही है और तुमने किसी और को पैसे दे दिए जाओ आज तुम्हें रात का खाना नहीं मिलेगा वो मजदूर चुपचाप जाकर सो गया।

लगभग 5 साल बाद एक बड़ा आदमी उनके घर का पता पूछते पूछते उसके घर तक पहुंच गया उस आदमी ने दरवाजा बजाया तो मजदूर ने घर का दरवाजा खोला और सामने खड़ा आदमी उसको देख कर मुस्कुराने लगा तो मजदूर ने उससे पूछा आपको किससे मिलना है सामने खड़े आदमी ने कहा मुझे आपसे ही मिलना है मजदूर ने हैरान होते हुए कहा शायद आपको कोई गलत फहमी हुई है उस आदमी ने कहा नहीं नहीं मुझे आपसे ही मिलना है आपका एहसान चुकाना है मजदूर ने कहा कौन सा एहसान उस आदमी ने कहा कि करीब 5 साल पहले मैं इस रास्ते पर भूखा बैठा था और तुमने मेरी मदद की थी मजदूर ने हैरान होते हुए कहा तो तुम इतने बड़े आदमी कैसे बन गए उस आदमी ने कहा आपने मुझे जो पैसे दिए उन पैसों से मैंने एक छोटी सी किराए की दुकान खोली जिस पर मैं खाना बेचा करता था मुझे उससे हल्के हल्के थोड़ा नफा होने लगा और आज मेरी वो किराए की दुकान एक बहुत बड़े रेस्टोरेंट में बदल गई है उस आदमी ने मजदूर को चैक देते हुए कहा आपका बहुत-बहुत शुक्रिया और आपको कभी मदद चाहिए हो तो आप मुझे याद कीजिएगा और मेरे घर के पते पर आ जाइएगा।

(Writer Aiman moin Raza Ghosi) 



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