प्रवीन अपने आंसुओं को रोककर बस यह सोच रहा था कि यह कैसा आर्थिक संतुलन है जिसने मानसिक स प्रवीन अपने आंसुओं को रोककर बस यह सोच रहा था कि यह कैसा आर्थिक संतुलन है जिसने म...
‘ठीकेदारिन कहते हैं उसे मज़दूर-रेज़ा, नेता-परेता। ठाठ तो देखिए...ठाड़े-ठाड़े गरियाती है लेबरों, अफसर... ‘ठीकेदारिन कहते हैं उसे मज़दूर-रेज़ा, नेता-परेता। ठाठ तो देखिए...ठाड़े-ठाड़े गरि...