एनिमल लवर (पशु प्रेमी)

एनिमल लवर (पशु प्रेमी)

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श्रीनिवास चन्द्र एक प्रख्यात पशु प्रेमी हैं और शाम को उन्हें एक गोष्ठी में पशुहित और पशुप्रेम पर वक्तव्य देने जाना है। बहुधा वो ही घर की आवश्यकतानुसार वस्तुएं लेने जाते हैं परन्तु आज भाषण होने कारण उन्होंने अपने बेटे को जो लगभग 11 वर्ष का गया है और हर बात पर तर्क करता रहता है, बाज़ार भेजा। बेटे को निर्देश दिया कि गोश्त लेते आना भिल्लू कसाई की दुकान से । बेटे ने प्रश्न खड़ा किया कि पापा आप तो पशुप्रेम पर भाषण देने जा रहे और मुझसे शाम के खाने के लिए उन्ही पशुओं का मांस भी मंगवा रहे! इससे पहले कि बच्चे का प्रश्न पूरा होता, श्रीनिवास जी उसे बिगड़ गए ," अब तुम मुझे उपदेश दोगे, पूरी दुनिया को मैं भाषण देता हूं और तुम मुझे सुनाओगे!? जितना कहा जाय उतना करो और मेरा दिमाग खराब करो। मुझे अभी वक्तव के बारे में भी सोचना है। जाओ जल्दी लेके आओ और अपनी मां से बोल देना रात 9:30 तक आ जाऊंगा, और गोश्त बना रखे।" बेटा चुपचाप चला गया, उसे समझ नहीं आ रहा था कि सही क्या है और गलत क्या है।

थोड़ी देर में श्रीनिवास जी वक्तव्य शुरू हुआ। हजारों लोगों की भीड़ ने तालियों से उनका स्वागत किया। अध्यक्ष जी ने उन्हें आमंत्रित करते हुए कहा ," श्रीनिवास जी जैसा पशुप्रेमी आज के समय में शायद ही कोई हो। हमें इनके जैसा बनने की कोशिश करनी चाहिए। " श्रीनिवास जी ने अध्यक्ष महोदय का धन्यवाद किया और वक्तव्य शुरू किया," इन पशुओं में हमारे जैसा ही जीवन होता है, हम उनसे प्रेम करना चाहिए। इनकी हत्या करने वालों पर कठोर से कठोर कारवाई होनी चाहिए। सर्कस में पशुओं पर अत्याचार होता है, किसान खेत जोतने के लिए इन पशुओं पर अत्याचार करते हैं, जलीकट्टू जैसे खेल पशुओं पर क्रूरता है , अतः हम सबको सरकार से इन सब पर प्रतिबंध की मांग करनी चाहिए ।" पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। गोष्ठी खत्म हुई। सभी ने उनकी भूरि भूरि प्रशंसा की।


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