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Vikash Kumar

Others

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Vikash Kumar

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एक पत्र माँ के नाम

एक पत्र माँ के नाम

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मेरी प्रिय माँ,

मेरी दुनिया के सबसे खूबसूरत इंसान के चरणों में मेरा वंदन। माँ, कैसी हो तुम। मैं यहाँ ठीक हूँ। छुटकी, गोलू हमेशा की तरह तुमको ज्यादा तंग तो नहीं करते। यहाँ दिल्ली में मौसम बहुत सुहावना हो गया है, शायद वहाँ भी बारिश हो रही होगी। इस बारिश के मौसम में वो आपके हाथ के गर्मागर्म पकौड़े, वो चीला फिर आपका प्यार से परेशान बहुत याद आता है। वो आपका डाँटना - " बारिश में ज्यादा मत भीगो, ये बच्चे बिल्कुल भी नहीं सुनते मेरी तो।" तब बचपन की मस्ती में इतना खो जाते थे कि कभी आपके प्यार को महसूस ही नहीं कर पाए माँ।

अब जब छोटी उम्र में मेरा चयन इंडियन बैंक में पर्यवीक्षाधीन अधिकारी के पद पर हुआ सबसे ज्यादा तुम और दादी ही खुश हुए थे। तुम चाह कर भी अपने आँसुओं को ना रोक पाई थीं। तुम्हारा दर्द मैं समझ सकता था, वो जो 100 रुपये की साड़ी में तुम सालों साल निकालकर हमारे लिए ननिहाल या अन्य रिश्तेदारों से मिलने वाले पैसों को गुल्लक में जोड़कर कैसे नए कपड़ों का दीवाली पर प्रबन्ध कर देती थी। उस समय तुम एक पिता बन जाती थीं माँ। मुझे याद है कैसे तुम हमारी शैतानियों के लिए पापा के गुस्से से बचा लेती थीं। अब वह सब बातें बेगानी सी हो गईं हैं। अब रह गई है तो केवल उन लम्हों की याद।

पर मेरे लिए अब यह नौकरी तुमसे बिछड़ने का सबसे बड़ा कारण हो गई है, माँ। माँ, रोज़ शाम को तुम्हारी याद में कैसे में प्याज काटते समय आँसुओं को बहा देता हूँ, इसका भी एक कारण है माँ, इस समाज ने मर्द पर जो रोने की पाबंदी लगाई है तो वह समय अपने लिए आँसू बहाने का नियत कर लिया है। दो घण्टे से ज्यादा रखी रोटी को न खाने वाला तुम्हारा बेटा, कैसे सुबह का खाना शाम को खा लेता है। अब कोई नहीं पूछता माँ कि तुमने खाना खाया या नहीं। कौन कहता है माँ की बेटे पराये नहीं होते, नौकरी ने देखो ना माँ मुझे कैसे तुमसे पराया कर दिया है। देखो अब हमारे पास सब है माँ,बस खोया है तो मैंने अपनी माँ को। आज आपका बेटा भी आप से पराया हो गया है। अब बस रह गई है तो आपकी कमी, और इसी कमी और दर्द ने मेरे अंदर के कवि को कब जगा दिया और कब मैं कविताएँ लिखने लगा, पता ही नहीं चला ।

अब मैं पत्र समाप्त करता हूँ, लिखने को तो बहुत कुछ है माँ, पर यह दिल औऱ लिखने की इजाज़त नहीं देता, हाथ अब काँप रहे हैं। मैं कुछ ज्यादा ही भावुक हो गया था इसीलिए कहीं कहीं शब्दों की स्याही बिखर सी गई हैं माँ। तुम ज्यादा परेशान मत होना, मैं यहाँ सकुशल हूँ। मैं समझता हूँ माँ आपकी भी कुछ मजबूरियाँ हैं, वरना कौन माँ अपने बेटे को खुद से अलग करती है। आपकी जरूरत पापा ,छुटकी और गोलू को मेरे से ज्यादा है। पापा को मेरा चरण स्पर्श बोलना एवम छुटकी एवम गोलू को मेरा प्यार। और हाँ रोना बिल्कुल भी नहीं ।


आपकी याद में

आपका बेटा - बिक्कू


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