एक और गया
एक और गया
आज लीला बेन बहुत घबराई सी हुई है। घरेलू काम-काज निपटाती हुई अपने आप से बतिया रही है--"हे राम! अब क्या होगा?---"ये बीमारी एक एक करके सबको अपने आगोश में लील कर देगी।"
लीला बेन बगल-पड़ोस वाली सहेली को आवाज लगाती है--अरे श्यामा बेन! श्यामा बेन! अरी ओ श्यामा! सुन तो!--"बालकनी से आवाज लगाती है"
आज सुबह-सुबह कुछ परेशान ssssss! क्या बात है लीला बेन? मैं कुछ सुन रही हूँ तू आज अपने आप में बड़बड़ा रही है क्यों ?--- नहीं -नहीं ऐसी बात नहीं है पर---। श्यामा बेन! अब थोड़ा डरने की बात तो है ही ना!
अब तुम ही बताओ! इस भयंकर महामारी से बचने के लिए हमने सामाजिक दूरी भी बना रखी है फिर भी इतने हादसे हो रहे हैं। सब लोग अपनी जिम्मेदारी सही से समझें तो इतने हादसे हो ही क्यों?---खैरssssश्यामा बेन कहती है लीलाबेन! पहेलियाँ बुझाना छोड़ो और साफ-साफ बताओ! तुम्हारे मुख की हवायें क्यों उड़ी हुई हैं? सब ठीक तो हैं सोसाइटी में!---ह्मममममम!जब से अनलॉक-1 हुआ तब भी सोसाइटी वालों से मिलने में भी डर ही है, अदृश्य बीमारी है ना श्यामाबेन ये! पता नहीं कौन पॉजिटिव है? हमें बड़ी सावधानी से रहना चाहिए। अपनी-अपनी बालकनी से दोनों बतिया रहे हैं।
अब देखो ना श्यामा बेन! गली न0 04 में गुप्ता जी रहते हैं ना, अरे वही जो बिजली विभाग में हैं।--ह्मममममम फिर!---हाँ वही रमाशंकर गुप्ता जी, उनके बगल में ही दूबे अंकल रहते हैं,उनके यहाँ कोई कोरोना पॉजिटिव थे।पिछले हफ्ते से सिंगला नर्सिंगहोम में उनका इलाज चल रहा था,उम्र कोई 55-60के करीब रही होगी, श्यामा बेन आज सुबह ही वे दिवंगत हो गये।---हैं ई क्या बोल रही है लीलाssss? वे भी कोरोना से हार गये! लीलाबेन लगता है कमबख्त कोरोना अब सोसाइटी में भी फैलने लग गया।
बहुत सचेत होकर रहना पड़ेगा अब तो! संवेदना के दो शब्द कहने भी नहीं जा सकते ऐसे में तो!--"जान है तो जहान है।" श्यामा बेन थोड़ा नर्वस और उदास चेहरे से लीला बेन से बोली!--"तू तभी आज सुबह-सुबह अपने आप से बड़बड़ाते हुए कुछ बोल रही थी कि--"हे राम! अब क्या होगा?----"एक और गयाsss" मैं तब थोड़ी समझी नहीं परन्तु सोच रही थी कि आज लीला बेन इतनी सैंसिटिव और इमोशनल क्यों हो रही है, ऐसी बहकी सी बातें क्यों कर रही है, अब समझ में आया कि माजरा ये है।
क्या करें बहन! "जीना इसी का नाम है, लड़कर जीना ही जिंदगी है।"