दुल्हन के सपने।
दुल्हन के सपने।


एक पल में बदल जाते है रिश्ते। क्या इसी का नाम है शादी!
एक दिन में घर दूसरा घर बसने चली, अपने बाबुल के अंगान को सूना कर के अपनी एक अलग पहचान बनाने चली।
अपनी पहचान अब अपने जीवन साथी के नाम के साथ जोड़ने चली।
ससुराल में सब का दिल जीतने में ही कट जाएगी ये ज़िंदगी, कभी रस्मों के ज़ोर पे तो कभी ख़ानदान की इज़्ज़त के ख़ातिर चुप्पी का सहारा लेकर लो चली मैं।
पति के प्यार और भरोसे को अपनी शक्ति बनाया और चली में अपनी गृहस्थी बसाने।
बस अब क़िस्मत ही तय करेगी मेरे सपनों की एक नयी दुनिया। लो चली में अपने बड़ों के आशीर्वाद को लेकर। इस दुनिया की रस्मों को निभाने। लो चली में अपनी एक नयी उड़ान भरने। मन में बस एक सकूँ भरी ज़िंदगी को जीने। माँग में पति के नाम का सिंदूर भर के उनको अपना देवता समझ के।