डायरी जून 2022
डायरी जून 2022
प्रतिलपि सखि,
पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है । चारों ओर चीख पुकार हो रही है । दरबारी "रूदाली" बनकर जार जार रोये जा रहे हैं । चापलूस और चाटुकार आंखों में ग्लिसरीन डाल डालकर नौ नौ आंसू बहाकर रहे हैं । खैराती , पत्तलकार छाती पीट रहे हैं । और चमचे ? उनको तो समझ ही नहीं आ रहा है कि क्या करें, क्या ना करें ?
आखिर राजमाता को नोटिस मिल गया है भई । साथ में चार्मिंग प्रिंस को भी । तो अब तुम्ही बताओ सखि, "रोना , कलपना, छाती पीटना, चीखना, चिल्लाना तो बनता है कि नहीं ? उनकी तो "मालकिन" और "मालिक" को "श्रीकृष्ण जन्म स्थान" भेजने की तैयारी हो गई है और वे रोयें भी नहीं ? अब तुम्ही बताओ सखि, यह तानाशाही , हिटलरशाही है या नहीं ? ये बेचारे पिछले आठ वर्षों से यही तो चिल्ला रहे हैं , मगर कोई सुनता ही नहीं है । अजीब देश बन गया है यह । सहिष्णुता बिल्कुल खत्म ही हो गई है अब तो ।
अच्छा, बड़े मजे की बात है कि एक क्षेत्रीय क्षत्रप का सबसे प्यारा मंत्री अपनी ही पुलिस से वसूली करवा रहा था । उनका चहेता पुलिस का अदना सा कारिंदा करोड़ों की वसूली कर रहा था । वर्दी पहन कर किसी के घर के सामने विस्फोटकों से भरी गाड़ी खड़ी कर "फिरौती" भी वसूल करने की फिराक में भी था वह । और जिसकी गाड़ी का उसने इसमें इस्तेमाल किया, उसे ही ठिकाने लगा रहा था वह पुलिस का कारिंदा । जब वह जेल में बंद हुआ तब भी "बदले की कार्रवाई" का रोना रोया गया । कोई परमबीर जब सार्वजनिक रूप से 100 करोड़ रुपए महीने की वसूली के आरोप लगा रहा था और उच्च न्यायालय ने जब इसकी जांच सी बी आई से करवाई और जब क्षत्रप का वह कद्दावर मंत्री सलाखों के पीछे गया तब भी यही रंडी रोना रोया गया ।
सखि, दाऊद इब्राहिम का खासमखास एक आदमी जो आतंकियों की करोड़ों की संपत्ति कौड़ियों के दाम खरीदा करता था । कभी कबाड़ी था मगर "तुष्टीकरण" के वोटों की बदौलत वह एक मंत्री बन गया । और तो और वह सरकार और मराठा क्षत्रप की नाक का बाल बन गया था । आतंकियों से सांठगांठ होने और उनकी सम्पत्ति खरीदने के जुर्म में वह जेल चला गया तब भी "बदले की कार्रवाई" का रंडी रोना रोया गया । ये आदमी अभी भी जेल में ही है और जेल से ही सरकार चला रहा है । क्योंकि वह अभी भी मंत्री है । उसे ना तो हटाया गया है और ना ही उसने इस्तीफा दिया है । कितनी शानदार सरकार है ना । ईमानदार, जन हितैषी, देशभक्त और साफ सुथरी । उस आदमी को हटाने की ताकत ना तो "नकली शेर" में है और ना ही क्षत्रप में । आखिर तुष्टीकरण का वोट भी तो चाहिए । सखि, तुष्टीकरण का वोट उन्ही को मिलता है जो याकूब मेमन के जनाजे में जाते हैं , टुकड़े टुकड़े का नारा लगाते हैं और भारत माता को डायन बताते हैं । गजब के लोग हैं सखि, जो खाते यहां का हैं और गाते वहां का हैं । ऐसे समस्त लोग अब एकजुट होकर "रूदाली" बन गए हैं और सड़कों पर कोहराम मचा रहे हैं ।
सखि, स्वयंभू ईमानदार नेता का स्वास्थ्य मंत्री भी जेल की हवा खा रहा है । ऐसा नहीं है कि उसका एक ही मंत्री जेल की हवा खा रहा हो अभी अभी दो महीने पहले ही एक सीमांत प्रांत में बनी उसकी कठपुतली सरकार का स्वास्थ्य मंत्री भी भ्रष्टाचार में ही जेल की चक्की पीस रहा है । दिल्ली दंगों का मास्टर माइंड भी इस तथाकथित ईमानदार नेता की पार्टी का ही एक पार्षद ताहिर हुसैन था जो पिछले दो साल से सलाखों के पीछे है और अभी हाल ही में जहांगीर पुरी हिंसा का मास्टर माइंड भी इसी पार्टी का "पुष्पा" था जो वह भी जेल की शोभा बढा रहा है । और यह बहरूपिया "बदले की कार्रवाई" का शोर मचा मचाकर जनता को गुमराह कर रहा है ।
सखि, लेडी हिटलर भी कोई कम नहीं है । टोलाबाजी और कटमनी के आरोपों में वह भी बुरी तरह फंसी हुई है । उसका भतीजा और उसकी पत्नी को भी सम्मन दे दिये गये हैं । मगर वह भी "बदले की कार्रवाई" का रोना रोकर "विक्टिम कार्ड" खेल रही है । जबकि उसके जंगल राज में ना तो कहीं लोकतंत्र नजर आता है और ना ही अभिव्यक्ति की आजादी । वहां तो विरोधियों को जिंदगी की आजादी भी नहीं है सखि ।
अब "मालकिन" और उसके "युवराज" को भी नोटिस मिल गया है तो फिर से "राग बदला" पूरी ताकत से बजने लग गया है । सब दरबारी एक साथ "झुण्ड" में इकठ्ठे होकर "हुआ हुंआ" कर रहे हैं । मन ही मन कह रहे हैं कि ये कैसे दिन आ गये हैं ? इन दिनों की कल्पना तो किसी ने भी नहीं की थी । मगर दिन तो सबके बदलते हैं ना सखि । राजा भी रंक बन जाते हैं और रंक भी राजा । पर यह कोहराम देखकर बहुत आनंद आ रहा है । काश, यह कोहराम कुछ सालों तक यूं ही मचता रहे तो जनता को सब कुछ समझ में आता रहेगा ।
पर कुछ भी हो सखि, यह कोहराम हमें बहुत अच्छा लगा । बहुत ही अच्छा ।
