बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
एक छोटे से गाँव का लड़का जिसका नाम रवि था वो पढ़ाई में बहुत होशियार था, वो अपने गाँव के नजदीक बने छोटे से अधकच्चे मकान में एक गुरूजी से पढ़ने जाया करता था लेकिन उसकी माली हालत काफी ख़राब थी इसलिए उसे भी अपने परिवार के बाकी सदस्यों की तरह दूसरों के खेतों में काम करने जाना पड़ता था। रवि खेतों से समय निकाल कर जब भी पढ़ाई करने बैठता तो उसके घर परिवार के सदस्य उसका मजाक उड़ाते उसे समझाते कि “जैसी हमारी हालत है इस हालत में पढ़ाई-लिखाई करना बेकार है। काम में मन लगा 2 पैसे कमा लोगे तो जिंदगी अच्छी बीत जायेगी”। हालाँकि रवि को उनकी इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था और उसे जब भी समय मिलता वो अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाता। एक दिन उसके गुरु जी ने बसंत पंचमी के महत्व के बारे में बताया और माता सरस्वती की पूजा अर्चना करने की विधि भी बताई। गुरु जी ने एक तस्वीर दिखाई जिसमे सफ़ेद वस्त्रों में एक खूबसूरत औरत हाथ में वीणा लिए हुए बैठी हुई थी। रवि उस तस्वीर को देख कर मंत्रमुग्ध हो गया और कुछ समय के लिए उसे ध्यान ही नहीं रहा वो कहा है। गुरु जी ने सभी बच्चों से माँ सरस्वती की पूजा करवाई और हाथ जोड़कर, आँख बंद कर कुछ मांगने को कहा। सभी बच्चों ने कुछ देर तक आँखे बंद रखी और गुरु जी के कहने पर पुनः आँखे खोले और माता सरस्वती को प्रणाम कर अपने आसन पर बैठ कर शिक्षा ग्रहण करने लगे।
उसी रात को अचानक भारी मुसलाधार बारिश हुई जिससे नदी उफान पर आ गयी और उसने बाढ़ का रूप ले लिया उस बाढ़ में रवि भी कही बह गया। रवि ने अचानक आँखे खोली तो अपने आपको एक टूटे फूटे लेकिन पक्के घर में पाया, ये उसके गाँव से थोड़ी दुरी पर टुटा-फुटा मकान है जिसके बारे में अफवाह थी कि यहाँ भूत रहते है तभी अपने बगल में एक खूबसूरत सी महिला को देखा जो सफ़ेद वस्त्रों में थी। रवि के पूछने पर उस महिला ने बताया कि उनका नाम शारदा है पर आस पास के बच्चे उन्हें शारदा माँ बुलाते है और उन्हें रवि नदी में बहता हुआ मिला। रवि ने वापस घर जाने की बात कही पर शारदा ने कहा की वो अभी नहीं जा सकता क्योंकि अभी रात है और वो 2 दिन से सोया पड़ा है पर वो चाहे तो अगली सुबह घर जा सकता है। शारदा माँ ने रवि को अपने गोद में लिटाया और उसे थपकी देते हुए तरह तरह की कहानियां सुनाने लगी और रवि को पता ही नहीं चला की कहानी सुनते – सुनते वो कब सो गया।
सुबह रवि की आँख खुली तो खुद को उसी बिस्तर पर पाया पर शारदा माँ कही दिख नहीं रही थी। रवि ने उन्हें पहले मकान में खोजा जब नहीं मिली तो घर से बाहर आ कर खोजने लगा पर तब भी उसे शारदा माँ कही नहीं मिली। अभी रवि उस मकान से थोडा आया ही होगा कि उसे उसके दोस्त मिल गए। सबको रवि की चिंता हो रही थी अपने दोस्तों से मिलकर रवि को बहुत ख़ुशी हुई और इस बीच वो भूल गया कि वो शारदा माँ को खोज रहा था। रवि भागते हुए घर पहुंचा तो पता चला की सब और ऊपर पहाड़ की तरफ चले गये है वो अपने दोस्तों के साथ जब वहां पहुंचा तब सभी रवि को जिन्दा देख इस घटना को चमत्कार मान रहे थे। लोगों के पूछने पर उसने कल रात की घटना विस्तार से सुना दी किसी को उसकी बातों पर यकीं ही नहीं हुआ पर गुरु जी समझ गए की क्या हुआ था पर फिर भी उन्होंने रवि की परीक्षा लेने की सोची और कल सुबह विद्यालय में पढ़ाये गए पाठ को दोहराने को कहा जो की रवि ने बहुत ही आसानी से कर दिया तब गुरु जी ने सभी गाँव वालों को बताया की रवि माँ सरस्वती की बड़ी कृपा हुई है और ये बालक आगे चल कर बहुत बड़ा विद्वान बनेगा ऐसा यकीं है। ऐसा ही हुआ वो बालक आगे चल कर बहुत बड़ा नाम कमाया और रविदास नाम से विख्यात हुआ।