बहन
बहन
नकारात्मक अंत
राजू हर साल की तरह इस साल भी अकेला और उदास था क्योंकि आज रक्षा बंधन है और उसको राखी बांधने वाला कोई नहीं है। राजू महज 5 साल का था पर समझता था बहन क्या होती है वो रोता - रोता माँ के पास गया और पूछने लगा।
राजू : माँ मेरी कोई बहन नहीं है ऐसा क्यों ?
माँ ने कुछ नहीं कहा वो किचन के कोने में जा के रोने लगी और याद करने लगी उन बातों को जो दुखद ही नहीं कष्टदायक है क्योंकि उस माँ ने एक लड़के की चाहत में 3 लड़कियों को गर्भपात से मरवा दिया।
पेरेंट्स हमेशा अपने बच्चों का भला सोचते है पर कभी कभी उस भलाई में छुपी दर्द किसी को नजर नहीं आता क्योंकि हम कभी कभी मतलबी हो जाते है।
सकारात्मक अंत
राजू हर साल की तरह इस साल भी अकेला और उदास था क्योंकि आज रक्षा बंधन है और उसको राखी बांधने वाला कोई नहीं है। राजू महज 5 साल का था पर समझता था बहन क्या होती है वो रोता - रोता माँ के पास गया और पूछने लगा।
राजू : माँ मेरी कोई बहन नहीं है ऐसा क्यों ?
माँ ने कुछ नहीं कहा वो किचन के कोने में जा के रोने लगी और याद करने लगी उन बातों को जो दुखद ही नहीं कष्टदायक है क्योंकि उस माँ ने एक लड़के की चाहत में 3 लड़कियों को गर्भपात से मरवा दिया।
कि तभी उसके घर की रिंग बजी राजू की माँ ने आंसू पोंछते हुए दरवाजा खोला उस के सामने उसकी बहन खड़ी थी जो अपनी छोटी सी बेटी के साथ खड़ी थी। इसका नाम सौम्या है और जैसे ही उसने राजू को देखा वो दौड़ कर उसके पास गयी और उसके सीने से लग कर कहा - भैया मैं आ गयी।
समाप्त
