Kunwar Yuvraj Singh Rathore

Others

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Kunwar Yuvraj Singh Rathore

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भारतीय धर्म और आस्था

भारतीय धर्म और आस्था

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1 धर्म क्या हैं ?

 जो धारण किए जाने योग्य हो वही धर्म हैं किंतु विश्व में धर्म को अनेको परिभाषाओं से परिभाषित किया गया हैं परंतु यह बात ध्यातव्य हैं कि भारतीय धर्म पश्चिम देशों के Religion शब्द से पूर्णतः भिन्न हैं, जहा एक ओर Religion शब्द सामाजिकता का संक्षिप्तीकरण कर एक ही समुदाय विशेष का बौद्घ कराता हैं वही भारतीय धर्म स्वयं में सम्पूर्ण विशाल व असीमित ब्रह्मांड को समायोजित किए हुए हैं भारतीय धर्म स्वयं में परिष्कृत, परिभाषित व परिलक्षित हैं। यह जाति विशेष से परे हैं यह विश्व के सभी समुदाय जातीयता (हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई ,सिख) को समन्वयता के साथ अपने मधुर आँचल में पिरोहता हैं।। 

अतः जो धारण किए जाने योग्य हो, जिसमे मधुर आंचलिकता हो, अथक और अदम्य सहिष्णुता हो, समन्वयकशील गतिशीलता हो, स्वयं ही में उदय और अंत हो, जो समयानुकरणता से परिवर्तनीय हो जिसमें आध्यात्मिकता में अध्यात्म हो जो स्वयं ही आराध्य व पाराध्य हो जो एकत्व में अनेकत्वता के साथ सार्वभौमिक हो, जो खुद में खुद ही की खोज हो, जिसमें वत्सलता,सहजता,सहनशीलता,सार्थकता,व प्रेमांचलित सामर्थ्य हो, साथ ही तत्कालीन यथार्थता से अनभिज्ञ न हो वही धर्म हैं।

2 धर्म और आध्यात्मिकता में अंतर ?

धर्म पथिक हैं वही अध्यात्म पथ हैं, धर्म तप हैं तो अध्यात्म वरदान हैं अर्थात् धर्म वृक्ष हैं तो अध्यात्म फल हैं, धर्म अध्ययन हैं तो अध्यात्म अध्याय हैं।

✍🏻 Author ✍🏻

K. Yuvraj Singh Rathore

💐💐❤️❤️✍🏻✍🏻


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