Ankita Ankita

Others

3.5  

Ankita Ankita

Others

बेरोजगारी

बेरोजगारी

3 mins
292


एक बेरोजगार ग्रेजुएट लड़का एक सुबह जब सो कर उठा तो उसके जेब में सिर्फ दस डॉलर थे। वे उसकी आखरी पूंजी थी। उसने उन पैसों से खाना खरीदने का विचार किया वह उसके बाद मरने को भी तैयार था। पर भीख मांगने को तैयार नहीं था क्योंकि नौकरी तो कोई दे ही नहीं रहा था उसको वह भीख मांग कर अपने आत्मसम्मान को नीचे नहीं गिराना चाहता था।  वह जानता था कि उस दिन खाना खाने के बाद अगले दिन से उसे भूखा ही रहना होगा वह खाना ख़रीद कर सड़क के किनारे एक बेंच पर बैठ गया।  वह खाना शुरू करने ही वाला था कि एक बूढ़ा और दो छोटे-छोटे बच्चे उसके सामने आकर खड़े हो गए बूढ़े ने कहा " हमें कुछ खाने को दे दो हमने एक हफ्ते से कुछ भी नहीं खाया है!" उस बेरोजगार नौजवान ने उनको गौर से देखा वह तीनों ही बहुत दुबले थे और उनकी तो हड्डियाँ भी माँस से बाहर आती दिख रही थी उनकी आंखों से गहरी शून्यता थी और आँसू भी सूख चुके थे। उस नौजवान के दिल में तब भी दया बाकी थी। उसने अपना वो अंतिम खाना उन लोगों को दे दिया।  उस बूढ़े ने कहा मैं भगवान से प्रार्थना करूँगा कि तुम बहुत संपन्न हो जाओ और तुम्हारे जीवन में ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ आ जाए!" इतना कहकर उस बूढ़े ने उस नौजवान के हाथ में एक खोटा सिक्का रख दिया, नौजवान ने उस बूढ़े और बच्चों से कहा, प्रार्थना की और भगवान के आशीर्वाद की आप लोगों को मुझसे ज्यादा जरूरत है!"

उस नौजवान के पास ना तो पैसे थे और ना ही खाना, नौकरी तो उसके पास पहले से ही नहीं थी भूखे पेट ही एक पेड़ के नीचे जाकर लेट गया और अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा करने लगा, जैसे ही वह सोने वाला था उसने पेड़ के नीचे एक पुराना अखबार देखा था, कि उसकी नजर उस अखबार में दिए गए एक विज्ञापन पर टिक गई लिखा था," जिन लोगों के पास खोटे सिक्के हैं वह लोग नीचे दिए गए पते पर आकर संपर्क करें!" उसको उस बूढ़े के द्वारा दिया हुआ वह खोटा सिक्का याद आया उसने उस सिक्के को उस पते पर ले जाने का विचार किया वह उस एड्रेस पर पहुंच गया और उसने उस जगह के मालिक को जेब से वह खोटा सिक्का निकाल कर दिखाया।  उस जगह का मालिक तो खुशी से चिल्ला ही उठा और उसने तुरंत ही एक बड़ी सी किताब खोली और उस बेरोजगार नौजवान को एक फोटो दिखाई खोटे सिक्के की फोटो थी वह और नीचे लिखा था," खोटे सिक्के का मूल्य तीस लाख डॉलर है!" उस नौजवान की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था 1 घंटे के अंदर ही उस जगह के मालिक ने उस नौजवान को तीस लाख का एक बैंक ड्राफ्ट बनवा कर दे दिया वह उस बैंक ड्राफ्ट को लेकर वापस उसी जगह पर गया जहां उसको वह बूढ़ा और दो बच्चे मिले थे वह उनको इधर-उधर खोजने लगा पर वह उसको नहीं मिले।  उसने सड़क के किनारे के खाने के स्टॉल वाले से भी पूछा उसने उस बूढ़े और दो बच्चों को देखा था उस स्टॉल के मालिक ने कहा, हां आए तो थे यहां पर वो जा चुके हैं और मैं नहीं जानता कि वह कहां गए पर वह आपके लिए कुछ छोड़ गए हैं।  उस नौजवान ने जल्दी से चिट्ठी खोली वह आशा कर रहा था कि उस चिट्ठी मैं उस बूढ़े का एड्रेस लिखा होगा और वह जाकर उससे उस एड्रेस पर मिलेगा चिट्ठी में लिखा था तुम्हारे पास जो भी पूंजी थी तुमने हमको दे दी थी और उसके बदले में हमने एक छोटा सा पुरस्कार दिया है तुम को दिया है और उस समय उस बेरोजगार की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। 


Rate this content
Log in

More hindi story from Ankita Ankita