अधूरी चाहत
अधूरी चाहत
सुंदर सुडौल काया साफ चेहरा बोलती आँखें, चाल में अजीब कसावट लिये जैसे ही भार्गव ने कक्षा में प्रवेश लिया, सबकी नजरे उसकी तरफ ही कुछ पल के लिए ठहर सी गई। अलग सी कद काठी सबको प्रभावित कर रही थी, कक्षा का माहौल कुछ देर के लिए शांत सा हो गया था। भार्गव को यह शांत माहौल अचानक खटका तो उसने पलटकर पीछे देखा तो सब उसे देख तो रहे थे लेकिन उनकी नजरों में वह चमक नहीं थी जो चमक खिड़की पर बैठे आदित्य की थी।
आदित्य को खूबसूरत लड़कों के प्रति ज्यादा आकर्षण लगता था, उसे अपने साथ कि छरहरी काया वाली लड़कियों में कोई रुचि नहीं होती थी, जबकि किशोरावस्था में विपरीत के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक होता है। लेकिन आदित्य में जो हार्मोन विकसित हो रहे थे वह समलैंगिक की ओर ज्यादा आकर्षण पैदा कर रहे थे। इन सब बातों से अभी आदित्य भी अनजान था। उसे बस कोई सुंदर सा चेहरा वाला कोई लड़का दिख जाए उसके प्रति उसका लगाव सा बढ़ जाता था, और वह उसके करीब जाने की कोशिश करता था।
आदित्य ने कहा आज के हीरो मेरी बगल वाली सीट खाली है यँहा बैठ जा यार दोस्त, यह सुनते ही भार्गव मुस्कराया और दूसरी सीट पर बैठते हुए बोला आज के लिए तो फिलहाल बैठने को मिल गया फिर कल से बैठते है। तब तक क्लास में शिक्षक आ गए, कक्षा में नए छात्र भार्गव को देखा तो उससे परिचय बताने को कहा। भार्गव ने अपना परिचय बताया, शिक्षक से अधिक रुचि आदित्य ले रहा था। पहले दिन तो ऐसे ही बीत गया। जाते समय आदित्य ने कहा अरे भार्गव कोई काम या आवश्यकता हो तो, हमें बताना दोस्त।
भार्गव आदित्य की दोस्ती करने कि बात को सामान्य दोस्ती में ले रहा था । उसे तो लगा कि आदित्य का स्वभाव ही कुछ ऐसा होगा कि वह हर किसी से दोस्ती करने वाला हो। समय व्यतीत होने लगा और आदित्य भार्गव की दोस्ती पक्की होती गई। अब सब दोस्त उन्हें चिढ़ाते हुए कहने लगे कि माँ का लाडला बिगड़ गया। दोनों एक साथ ही रहते, आदित्य व्यवहार अब कुछ लड़कियों जैसे करने लग गया, वह भार्गव के साथ एक दोस्त कम और एक गर्ल फ्रेंड जैसे रहने लगा। भार्गव को भी अब आदित्य की दोस्ती अच्छे लगने लगीं। लेकिन अभी तक भार्गव केवल आदित्य को एक सामान्य दोस्त की तरह व्यवहार करता था ।
आदित्य ने एक दिन भार्गव को साथ में सिनेमा देखने जाने की बात कही, दोनों छुट्टी के दिन सिनेमा देखने चले गए, नायक और नायिका के बीच चल रहे प्रेमालाप ने आदित्य कि सुसुप्त भावनाओं को जगा दिया वह सिनेमा देखते देखते अजीबोगरीब व्यवहार करने को आतुर होने लगा। आदी भार्गव के शरीर से अठखेलियाँ करने लगा, उसके साथ छेड़छाड़ करने लगा, भार्गव असहज होकर बोला यार क्या कर रहा है, मैं तेरा दोस्त हूँ, कोई गर्ल फ्रेंड नहीं, यह कहते ही अदित्य ने जैसे ही दोनों हाथ भार्गव के गले में डाला और अपनी ओर गाल पर चुम्बन लेने के लिये झुकाया, भार्गव ने उसका हाथ झिड़कते हुए कहा कि आदी तुम होश में तो हो ना, यह क्या वाहियात हरकतें कर रहे हो। नहीं भार्गव मैं वाहियात हरकत नहीं कर रहा हूँ, बल्कि तुमसे अपना प्यार ले रहा हूँ और तुझे अपना प्यार दे रहा हूँ, मुझे तुममें जो कशिश दिखती है, वह औरों में नहीं दिखती, आई लव यू यार।
आदी तुम यह सब क्या कह रहे हो तुम मजाक में कह रहे हो या सच में, यदि मजाक है तो ऐसी मजाक अच्छी नहीँ लेकिन कुछ पल के लिए किया तो ओके, लेकिन यदि सच है तो बहुत गलत है यार, मैं कोई तुम्हारी प्रेमिका या वाइफ नहीं हूँ, औऱ वैसे भी यह मूवी थियेटर है। यह कहकर भार्गव थोड़ी दूर बैठ गया। कुछ देर में मूवी द एंड लिखकर पर्दे पर सामने आया, आदित्य ने इधर उधर देखा तो भार्गव सामने चलने को कह रहा था।
उसके बाद आदित्य भार्गव को लेकर खुले रेस्टोरेंट्स में लेकर आया और वहाँ पर आकर अपनी दिल की बात भार्गव से कहा कि यार मुझे लड़की नहीं तुम जैसे खूबसूरत लड़के ही पसंद आते हो, मुझे लड़कियों या गर्ल फ्रेंड में कोई रुचि नहीँ है। मुझे तो सबका जिस्म एक जैसे लगता है, और प्यार करने के लिए कोई लिंग भेद नहीं होता है, यह तो किसी से भी हो सकता है, अभी मुझे तुमसे अनचाहा अनकही मोहब्बत है, यह मोहब्बत मुझे तुम्हारे पहले दिन की क्लास में आने के दिन से ही शुरू हो गयी थी, मैं तुझे अपना मान बैठा हूँ भार्गव, अब तुम ही मेरी जिन्दगी हो।
यह सब बातें मैं तुम्हें कब से कहना चाहता था, कई बार इशारों में भी समझाने की कोशिश की लेकिन तुम निपट अनाड़ी निकले, मूवी देखने इसी कारण तुम्हें साथ लेकर आया हूँ ताकि तुमको अपनी दिल की बात बता सकूँ और तुम्हें पा सकूँ। तुम मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड समझ सकते हो, मुझे वैसे भी लड़की की तरह रहना पसंद है। तुमको मैं एक गर्ल फ्रेंड से भी ज्यादा अपनापन दूंगा, बस तुम मेरा प्रस्ताव स्वीकार कर लो, मना मत करना प्लीज, मेरा दिल टूट जाएगा। यह सब वह एक सांस में कह गया।
इधर भार्गव उसके चेहरे पर आश्चर्य जनित भाव से एक टक देख कर सोच रहा था कि मैं जिसे एक सामान्य आम दोस्त समझ रहा था, वह तो कुछ और ही निकला, लेकिन वह आदी को निराश भी नहीं करना चाहता था और उसको प्रोत्साहित भी नहीं करना चाहता था, उसे लग रहा था कि अब बीच का ही कोई रास्ता निकालना चाह रहा था।
भार्गव ने कहा आदित्य मेरे दोस्त मेरे यार हम दोनों बेहतर दोस्त हैं और रहेंगे, दोस्त से या उसकी दोस्ती से प्यार करना तो दोस्ती का सबसे अच्छा होता है, किन्तु दोस्त के जिस्म से प्यार करना यह दोस्त या दोस्ती का पार्ट नहीं है। हम एक दूसरे के साथ दे सकते हैं रह सकते हैं, पूरी दुनिया के दोस्त रहते है और रहकर आये है। बाहरी देशों में समलैंगिकता को भी अभी तक पूरी तरह से मान्यता नहीं मिली है, अपने देश में तो यह बात कहने में ही अनोखी है, हालांकि मैं इसका विरोध नहीं कर रहा हूँ और नहीं इसको गलत ठहरा रहा हूँ, किन्तु दोस्त जो प्रकृति ने बनाया है और जो प्रकृति को स्वीकार्य है उसको सहजता से अपना लिया जाये तो जीवन अर्थ पूर्ण होता है। मैं यह कहना चाहता हूँ कि जो तुम सोच रहे हो या जो आपके साथ घटित हो रहा है, वह आपके लिए एक दिल या हार्मोन्स का मामला हो सकता है, किन्तु मैं इसमें असहज हूँ और मुझे यह सब स्वीकार नहीं हो पायेगा।
आदित्य ने भार्गव की बात सुनी तो उसे यह बात दार्शनिक लगी, और बोला कि यार तू भी किस जमाने में जी रहा है, आजकल यार यह सब बातें नॉर्मल है, तुम्हारी आज भी वही रूढ़िवादी सोच के हो, यार यह सब अब नॉर्मल है, जीवन में जो अच्छा लगे वह करना चाहिए, मैं तुम्हें वो सब देने को तैयार हूँ जो इस उम्र में चाहिए होता है, यह सब चीजें बस तुम्हारे और हमारे बीच ही रहेगी। मेरी बात पर विचार कर मुझे बताना।
भार्गव को लगा कि अभी इसे समझाना मुश्किल है, उसने कहा कि मैं सोचकर बताऊँगा। वह फिलहाल वहाँ से जाना चाहता था। अगले दिन भार्गव ने अपनी कोचिंग क्लास बदल दी और शहर से बाहर दूसरे शहर चला गया। आदित्य उसका जवाब का इंतजार कर रहा था, लेकिन जब बहुत दिन हो गए और भार्गव नहीं आया तो समझ गया कि उसकी चाहत अधूरी रह गयी।