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अब जिन्दगी होगी पूरी

अब जिन्दगी होगी पूरी

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मैंने कहा, भाभी क्या हुआ? कहाँ भागी जा रही हो? अरे सोना मेरी पूर्वी के लिए लड़का मिल गया कल ही शादी है। भाभी इतनी जल्दी। हाँ उनका कहना है शादी मंदिर में करनी है। आप लोग परेशान मत होइए सब हो जायेगा। हम शाम को सबको निमंत्रण देने आएंगे। सभी को आना है शादी में। ठीक है भाभी कोई जरूरत हो तो बताना। पूर्वी की शादी अच्छे से हो गई। बहू का रीति-रिवाज के अनुसार गृह प्रवेश भी हो गया। प्रोग्राम हनीमून का बना और लैटर तबादले का आ गया। पर ना चाहते हुए भी जाना पड़ा। पूर्वी को आश्वासन दिया जल्दी ही तुमको ले जाऊंगा। बेटे के जाते ही माँ ने कहा इसके घर पर कदम पड़े और मेरे बेटे का तबादला हो गया। कितनी मनहूस है। हे भगवन! शादी हुई न हुई सब एक बराबर। अब क्या मुंह देख रही है, जाकर ये सारा सामान रख। डरी हुई पूर्वी ने धीरे से कहा, कहाँ रखूं माँ, बता दीजिये। क्यों री! अपने घर से अलमारी लाई है। रख जहाँ मर्जी वहीं रख। ससुर को चिंता हुई तो कहने लगे क्यों बेचारी को बेकार में ताने दे रही हो। हमने ही तो दहेज़ नहीं माँगा। अब क्यों ताने दे रही हो। अरे वाह! अपने मन से भी तो कुछ देना चाहिए। खाली हाथ विदा कर दिया। दिनों-दिन सास के ताने बढ़ते ही जा रहे थे। पूर्वी सोचती, ये भी कोई शादी है? इतनी जल्दबाजी में शादी की और परिणाम ये हुआ। मन ही मन सोचा माँ को कुछ नहीं कहेंगी, उनको दुख होगा। इनसे ही बात करके देखते हैं। पूर्वी ने फ़ोन पर विनय को सब बताया। उसका यही कहना है मेरे माता-पिता का तुम सम्मान करो, वो जो कहें उसे तुम्हें मानना है। जल्दी ही मैं आऊंगा। घर पर ननद की बेटी आई थी, वो मात्र पंद्रह साल की। वह सब देख रही थी। रोज ढेरों काम करवाते। और जब खाने का समय आता तो खाने भी नहीं देते। पूर्वी के मन में माँ की कहीं बात घूमती रहती कि बेटा ससुराल में जैसा रखे वैसे ही रहना। डोली वहां जाती है तो अर्थी ही निकलती है।

पूर्वी सोच रही थी, इतनी सीधी दिखने वाली सास इतनी टेढ़ी होगी ये सोचा नहीं था। 'जो दीखता है वैसा होता नहीं है'। इतना सोच ही रही थी की सास आ गई, बैठी-बैठी क्या सोच रही है। चल उठ, बहुत काम पड़ा है। नहीं माँ मुझे बुखार है। हिम्मत नहीं है। मैं नहीं कर सकती। अच्छा अब मुंह भी चलने लगा है। आप लोग ये बताओ, अभी शादी को महीना भी नहीं हुआ है, आप लोग मुझे परेशान क्यों कर रहे हैं? सास तमक कर बोली, बात तो ऐसे कर रही है जैसे बहुत सारा दहेज लेकर आई है महारानी... दहेज लाती तो राज करती समझी। तेरे बाप ने कहा था हमें जो देना है हम बेटी को देंगे। माँजी, पापा इतनी जल्दी इंतजाम नहीं कर पाये। आपके बेटे ने कहा था, हमें लड़की चाहिए और कुछ नहीं। अब ज्यादा बाते मत बना, उठ रही है कि नहीं। पूर्वी सास की बात सुनकर भी उठी। इससे नाराज होकर सास ने उसके बाल पकड़ कर बिस्तर से खींच लिया और खूब नाराज हुई।

एक दिन भांजी बोली - मामी कितने जुल्म सहोगी मामा भी नहीं सुनते। मेरे स्कूल में टीचर जी बताती हैं जुल्म सहना अपराध है। वो कोई हेल्पलाइन नम्बर के बारे में बता रही थीं, कल में उनसे लेकर आती हूँ। अगले दिन पूर्वी को नम्बर मिल जाता है वह हिम्मत जुटाती है और फोन लगाकर सब कुछ बताती है। अगले दिन सास पूर्वी पर जुल्म कर रही थी - कह रही थी, तू यहाँ  मुफ्त की रोटियां तोड़ रही है। अपने बाप से कहो हमें कुछ रुपया दे, चल फोन मिला और ख़बरदार कुछ भी उनसे कहा तो। उसी समय पुलिस आ जाती है और सास को बहू पर जुल्म करने और दहेज़ मांगने के जुर्म में सजा हो जाती है। माँ-पिता को खबर लगती है वो पूर्वी की हिम्मत की दाद देते है। पूर्वी कहने लगी - पापा ये सब कनु का कमाल है। इसने हमें हिम्मत दी। बेटे को पता चला, तो वह प्लेन से घर आया और सारे हाल जानकर वह माँ से बोला - माँ दहेज़ लेना और देना दोनों अपराध है। अब खाओ जेल की हवा।

माँ कहने लगी बेटा मैं बहुत शर्मिंदा हूँ, मुझे बचा लो। अगले दिन पूर्वी अपना केस वापस ले लेती है। सास जेल से घर आते ही बहू के पैरों में गिर पड़ती है और कहती है - बेटा मुझे माफ़ कर दो। मैंने तुम्हारे साथ गलत किया। बेटा कहता माँ सुबह का भूला अगर शाम को घर वापस आये तो उसे भूला नहीं कहते। माँ अब मैं अपने साथ पूर्वी को भी ले जा रहा हूँ। पूर्वी इतने दिन खामोश रही, अब मैं उसे ख़ुशी देना चाहता हूँ। पूर्वी मन ही मन खुश होकर सोचने लगी अब जिन्दगी होगी पूरी...

 


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