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डॉ.निशा नंदिनी भारतीय

Others

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डॉ.निशा नंदिनी भारतीय

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आकर्षण

आकर्षण

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शारदीय भोर में भ्रमण करते हुए एक पेड़ की डाल पर कुछ दूरी पर लगे दो खूबसूरत पुष्पों ने मेरे भ्रमण में बाधा डाल दी। मैं अपना भ्रमण कर्म छोड़ कर बहुत देर तक उन दोनों रंगीन पुष्पों को देखती रही। मैं स्वभाव से ही पुष्प प्रेमी हूँ। दोनों एक दूसरे को अपनी तरफ खींच रहे थे। जोर जोर से हिल रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था मानो वे धीरे-धीरे समीप आ रहे हैं। एक पुष्प काफी बड़ा और दूसरा काफी छोटा था। मुझे उनमें मां और बच्चे का बोध हो रहा था। हवा बहुत तेज चल रही थी। छोटा पुष्प हवा से बार-बार झुक जाता था जबकि बड़ा फूल हिम्मत से डाल को पकड़े हुए था। दोनों का झुकाव एक दूसरे की तरफ था पर दूरी अभी भी बनी हुई थी। माँ फूल बच्चे को गले लगाकर उसकी रक्षा करना चाहता था। हवा तेज होती जा रही थी। दोनों की डालियाँ अलग-अलग थीं पर झुकाव दोनों का एक तरफ था। 


दोनों एक दूसरे को कारुणिक दृष्टि से देख रहे थे। कुछ पत्ते उनके बीच बाधा बन रहे थे। एक बड़े से पत्ते ने शिशु पुष्प को छिपा दिया था। मां पुष्प अभी भी झांक-झांक कर उसे देख रहा था। दोनों मिलने को बेचैन थे। मिलने की तीव्र चाह उनमें दिखाई दे रही थी। अचानक बहुत जोर से हवा चली। मां पुष्प जिस डाली पर था। वह डाल भारी होने के कारण नीचे झुककर शिशु फूल की डाल से लिपट गई। अब दोनों का मिलन हो चुका था। शिशु पुष्प माँ पुष्प के आगोश में सुरक्षित महसूस करके मुस्कुरा रहा था। मुझे ऐसा लगा मानो मां बच्चे को गोद में लेकर लोरी सुना रही हो। 


माँ और बच्चे का आकर्षण बहुत गहरा होता है। जिसे कोई बड़े से बड़ा तूफान भी जुदा नहीं कर सकता है। 


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