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यहाँ कौन है...

यहाँ कौन है तुम्हारा, शाम ढले किस ठिकाने जाओगे, बेरुखे हैं लोग यहाँ, बेआबरू कर के निकाले जाओगे, रिश्ते-नाते, अपने-बेगाने, दोस्त-दुश्मन सब बेकार यार, लुत्फ़ आएगा जब तुम कांधे-दर-काँधे उछाले जाओगे, 'दक्ष'

By Vikas Sharma Daksh
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