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वह डगर आज...

वह डगर आज भी है तेरे नाम से जानी जाती, जिस पर कभी तू मेरे साथ थी आती -जाती। आज भी ढूंढता हूं तेरे पैरों के निशां उन पर, जिन 'अरुण'पर तू चलती थी बलखाती।। © डॉ. अरुण निषाद

By डॉ. अरुण निषाद
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