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वफ़ा दो तरफ़ा...

वफ़ा दो तरफ़ा हो, यह जरूरी तो नहीं हर शक्श को बराबर मिले, यह जरूरी तो नहीं वफ़ा के मायने शक्शियत के मोहताज़ तो नहीं होते किसी को ताउम्र नहीं मिलती तो कोई उसकी तासीर से भी अनजान रहता है - अंतर्मन (पंकज-पारुल)

By Pankaj Srivastava
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