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उन बंदिशों से निकलना चाहा , पर ज़िम्मेदारियों के बेड़ियों ने जकड़ लिया ,
जहां धूप न पहुँचे वहां हौसले की रौशनी ने भरोसा दे दिया ,
ख़्वाब देखा करते हैं , वो नन्हें आँखे जिनको पता है उड़ना आसान नहीं हैं ,
पर पंख न होते हुऐ भी लड़खड़ा कर उड़ना भी सीख लिया ।
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