लोगों के साथ रहते हुये यह पता नहीं चलता है कि आपके अंदर का दर्द आपको अकेले में झकझोरता है। - © दिशा सिंह
सवालों के घेरे में ख़ुद को लिये घुम रही हूँ, जवाब ने कहां कब तक यूँ दर -दर भटकोगी, इन कूचों में ज़ीस्त ऐसी ही चल रहीं हैं राह-रौ बन कर मसाफ़त में चल पड़ोगी, - दिशा सिंह
दूरियां नजदीकियां ये चाहत की मनमर्जियां में करती नादानियाँ प्यार के दो सवारियां रैना और तारे सांझा करती अपनी कहानियां ।
हवाओं ने कहा उड़ने दो , तुम्हारी मुस्कान में सवारने दो , यगाना हैं तुम्हारी अदाओं में , शाद में तुम्हारी खूबसरती निखारने दो ,
भीड़ में अपनी बात कह कर चले जाते हैं वो लोग जो अक्सर सन्नाटों से डरते हैं हँसते हैं दूसरों पे वो जो खुद का सामना करने से घबराते हैं |
सरमा की बारिश का नज़ारा लिये फिर रहा हूँ मुज़्मर की खूबसूरती तलाश रहा हूँ ये बिन बुलाए बरसात की दस्तक में कुछ नग़्मे गुनगुना रहा हूँ ।
ये चाहते की मोजिज़ा है जो मुझें तेरे इश्क़ की कशिश से अब तक बँधे हुये है ये रिश्तों की मिठास है जो तेरे मेरे चाहत की दरमियाँ में गुड़ की तरह घुले हुये है ये हमारी अनोखी मुलाक़त है सपनों की नगरी में जो मिलने के लिये बेताब हैं।
उन बंदिशों से निकलना चाहा , पर ज़िम्मेदारियों के बेड़ियों ने जकड़ लिया , जहां धूप न पहुँचे वहां हौसले की रौशनी ने भरोसा दे दिया , ख़्वाब देखा करते हैं , वो नन्हें आँखे जिनको पता है उड़ना आसान नहीं हैं , पर पंख न होते हुऐ भी लड़खड़ा कर उड़ना भी सीख लिया ।