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तू बन गया...

तू बन गया है रूह मेरी, जिस्म की बात अब करूं कैसे। कम पङ जाते हैं लब्ज मोहब्बत में तेरी, तुझे बिन अल्फाज अब लिखूं कैसे। तेरे आने से खिल गयी है बहारे, बिन तेरे कटे पतझङ का जिक्र अब करूं कैसे।

By Navyug Saurabh
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