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तुम क्या थे...

तुम क्या थे मेरे लिए,अब मेरी समझ में आता है बादल छत पर मेरे , बिना बारिश गुजर जाता है मेरा घर, मेरे घर की दीवारें और चौक - चौबारे बिना तेरे अक्स के चेहरा सब का उतर जाता है सलिल सरोज

By Salil Saroj
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