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शून्य के...

शून्य के समान हूं,अब वक्त से क्या डरूं; दिल में कई अरमां लिए हूं, आज, मैं कुछ जज़्बात लिए थोड़ी दूर निकल चला हूं; ऐ वक्त अभी तुझसे कई मंजिल पिछे खड़ा हूं - स्नेहा धामा

By sneha dhama
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